अब तक अंदरखाने भाजपा कार्यकर्ता और विधायक काऊ के चल रहा मन मुटाव पहले काऊ के वायरल वीडियो और रविवार को हुई एक पंचायत के बाद सार्वजनिक मंच पर आ गया है। ये विषय केवल एक विधायक का नही है। पार्टी छोड़ने का दबाव केवल उमेश शर्मा काऊ पर नही बल्कि उनके सभी 9 बागी विधायकों के ग्रुप पर पड़ रहा है वो भी तब जब हरक सिंह रावत बोल चुके की हम जंहा है एक साथ है।
Chances of political upheaval in Uttarakhand, increasing pressure on Harak Singh Rawat and his group to leave the party
विधानसभा चुनाव 2022 भले ही अभी थोड़ा दूर है लेकिन एक विधानसभा ऐसी है जहां पर अभी से घमासान शुरू हो गया है। यह घमासान दो पार्टियों के बीच नहीं बल्कि एक ही पार्टी के विधायक और कार्यकर्ताओं के बीच है। 2017 विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े अंतर से जीतने वाले भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ से उन्ही की विधानसभा में भाजपा कार्यकर्ता नाराज है। दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप है।
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रविवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने की खुली पंचायत
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इसी पूरे घटनाक्रम के चलते रायपुर विधानसभा पर अब टेंशन लगातार बढ़ती जा रही है। रविवार को मालदेवता शिव मंदिर पर ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों लोगों ने एक पंचायत बुलाई जिस मैं क्षत्रिय एकता का नारा दिया गया और इसमें खुले तौर से विधायक उमेश शर्मा काऊ के द्वारा की गई अभद्रता को बाकायदा बैनर पोस्टर में लिखकर बैठक में 1 सूत्रीय चर्चा हुई। बैठक में केवल इस विषय पर चर्चा हुई कि इस क्षेत्र में विधायक उमेश शर्मा काऊ की स्वीकार्यता नहीं होगी। रायपुर विधानसभा के मालदेवता स्थित शिव मंदिर पर हुई इस बैठक में तकरीबन 350 से लेकर 400 लोग शामिल रहे तो वही इस बैठक में भाजपा के कई बड़े और वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। इन भाजपा नेताओ में मदन सिंह चौहान, सुरेंद्र पुंडीर, कलम सिंह रावत, वीर सिंह चौहान के अलावा इतवार रमोला भी मौजूद रहे।
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आज से नही पिछले चुनाव से ही तनाव, केंद्रीय नेताओ तक भी पहुंची है शिकायत
भाजपा के इन कार्यकर्ताओं का विधायक पर आरोप है कि उमेश शर्मा काऊ कांग्रेस से भाजपा में दल बदल कर आए और भाजपा ने पूरे सम्मान के साथ भाजपा के टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता है। भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पहले दिन से लेकर अब तक उमेश शर्मा काऊ अपनी जीत को खुद की मेहनत से बताते हैं और भारतीय जनता पार्टी और पार्टी के कार्यकर्ताओं को बिल्कुल भी सम्मान नहीं देते हैं। इन लोगों का कहना है कि उमेश शर्मा काऊ द्वारा हमेशा पार्टी विरोधी गतिविधियों में बढ़ावा दिया जाता है। हर क्षेत्रीय और छोटे बड़े चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी के खिलाफ दूसरे प्रत्याशी को उतारा जाता है और उसे विधायक का समर्थन होता है। इतना ही नहीं पार्टी के अलग-अलग फोरम पर कार्यकर्ताओं द्वारा इसकी शिकायत भी कई बार की गई है। इन नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनके द्वारा तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, संगठन महामंत्री अजय और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा प्रभारी दुष्यंत गौतम और केंद्र में संगठन महामंत्री बीएल संतोष तक से इस बात को लेकर शिकायत की गई है लेकिन उमेश शर्मा काऊ अपनी हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं।
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प्रदेश में बड़े सियासी उठापटक की डल रही है नीव
आपको बता दें कि यह विषय मात्र एक विधानसभा के विधायक और कुछ नाराज कार्यकर्ताओं का भर नही है। दरअसल यहीं से प्रदेश में एक बड़े राजनीतिक उठापटक की नींव डल रही है। क्योंकि रायपुर विधानसभा पर अब उमेश शर्मा काऊ और भाजपा कार्यकर्ता खुले तौर से आमने सामने आ गए हैं। लिहाजा उमेश शर्मा काऊ को भाजपा कार्यकर्ता यहां पर बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी तरफ उमेश शर्मा काऊ पर भाजपा से अलग होने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यह दबाव केवल एक विधायक उमेश शर्मा काऊ पर नहीं है उनके साथ उनका पूरा 9 विधायकों का ग्रुप है। जिसमें कद्दावर नेता हरक सिंह रावत भी मौजूद है और हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज सहित कई बागी अपने ग्रुप की पैरवी में उतर चुके है। लिहाजा तनाव लगातार बढ़ रहा है और जल्द ही कोई बड़ा घटनाक्रम भी देखने को मिल सकता है इस बात से बिल्कुल इंकार नहीं किया जा सकता है।