आगामी 27 जनवरी को वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (UTU) अपना 18वां स्थापना वर्ष मनाने जा रहा है। वर्ष 2005 में स्थापना के वक्त एक प्राइवेट होटल से संचालन शुरू करने वाली उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने इन 17 सालों में कई मुकाम हासिल किये। तो वहीं 18वें स्थापना के मौके पर विश्वविद्यालय में उत्तराखंड के पहले इंजीनियर के रूप में जाने जाने वाले माधो सिंह भंडारी और 71 की लड़ाई में पाक को धूल चटाने वाले T55 टैंक की स्थापना भी की जा रही है जिसके खुद में कई मायने है, जानिए।UTU celebrating 18th foundation day on 27th Jan 2023
वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (UTU) का 27 जनवरी आने वाले 18वां स्थापना दिवस की तैयारियां जोरो शोरो से चल रही है। इस मौके पर बतौर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल मौजूद रहेंगे। आगामी स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० ओंकार सिंह ने बताया कि स्थापना दिवस के मौके उत्तराखंड के इतिहास में महान योद्धा, सेनापति और कुशल इंजीनियर के रूप में अपनी पहचान रखने वाले वीर माधो सिंह भण्डारी के नाम पर तकनीकी विश्वविद्यालय का नामकरण हुआ है और उनकी मूर्ति परिसर में स्थापित की गई है जिसका अनावरण खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेगें। वहीं इसके अलावा कुलपति प्रो0 सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने “आर्मी डिजाइन ब्यूरो” के साथ समझौता कर पूरे देश में राज्य विश्वविद्यालय के रूप में रक्षा क्षेत्र में कार्य प्रारम्भ करने वाला संस्थान में अपना नाम दर्ज कराया है और डिफेंस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में यूनिवर्सिटी द्वारा किये जा रहे शोध कार्यों को आदर्श मानते हुए यूनिवर्सिटी परिसर में भारतीय सेना की युद्ध ट्रॉफी-युद्ध टैंक टी-55 को परिसर में स्थापित कर मुख्यमंत्री के कर कमलों द्वारा अनावरण किया जायेगा।
जाने विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित टैंक टी-55 और माधो सिंह भंडारी का इतिहास

वीर माधो सिंह तकनीकी विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित आर्मी टैंक टी-55 युद्धक ट्रॉफी रक्षा मंत्रालय के आयुध निदेशालय के माध्यम से पुणे (महाराष्ट्र) में सेन्ट्रल आर्मड फाइटिंग व्हीकल डिपो से लाया गया है। टी-55 युद्धक टैंक रूस द्वारा निर्मित उस श्रृंखला का टैंक है जिसका दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है और 50 से अधिक देशों में इसकी सेवा वर्तमान में ली जा रही है। टी-55 वह युद्धक टैंक है जिसने वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध में भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके कारण दुनिया के मानचित्र पर नये राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का सृजन हुआ। यह वह टैंक है जिसने कई वर्षों तक भारतीय सेना को सेवाएं देकर देश की रक्षा की है। विश्वविद्यालय में इस टैंक की स्थापना होने से इसकी शौर्य गाथा की जानकारी छात्र-छात्राओं को पढ़ने को मिलेगी। वहीं इसके अलावा वीर माधो सिंह भण्डारी जिनका जन्म सन 1595 के आस-पास उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी गढ़वाल जनपद के मलेथा गाँव में हुआ था इनके पिता का नाम सोणबाण कालो भण्डारी थे। माधो सिंह भंडारी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे उनकी बुद्धिमता और वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने सोणबाण कालो भण्डारी को एक बड़ी जागीर भी भेंट की थी। माधो सिंह भण्डारी कम उम्र में ही श्रीनगर के शाही दरबार में सेना में भर्ती हो गये और अपनी वीरता व युद्ध कौशल से सेनाध्यक्ष के पद पर पहुंच गये। वह टिहरी नरेश राजा महिपात शाह (1629-1646) की सेना में सेनाध्यक्ष रहे थे, जहाँ उन्होंने कई नये क्षेत्रों में राजा के राज्य को विस्तार देते हुए कई किलों को बनवाने में मदद की । इन्होंने कई महीनों की मेहनत के बाद चंद्रभागा नदी से पहाड़ों में सुरंग तैयार कर एक इंजीनियर की भूमिका निभाते हुए अपने गाँव मलेथा तक पानी पहुंचाने का कार्य कर सूखे की समस्या का निराकरण किया और इसी के निमित्त वीर माधो सिंह भंडारी को गढ़वाल का पहला इंजीनियर माना जाता है जिस ने असंभव कार्य को अपने हुनर के चलते संभव कर दिखाया था।
विश्वविद्यालय का डिफेंस के साथ होगा MOU

1)- विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ओंकार सिंह ने बताया कि 27 जनवरी स्थापना दिवस के मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में 03 MOU साइन होने हैं जिनमें से एक UTU और IMA देहरादून के बीच साल 2012 से में हुए MOU का विस्तार किया जाना है जिसके अंतर्गत वर्तमान में भारतीय सेना और मित्र राष्ट्रों के जेंटलमैन कैडेट्स को मिलिट्री स्टडीज और डिफेंस मैनेजमेंट के क्षेत्र में डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान किया जा रहा है। विश्वविद्यालय और भारतीय सैन्य अकादमी एक कदम और आगे बढ़ते हुए उसी एम0ओ0यू0 की शर्तों को विस्तार देते हुए अब आई०एम०ए० में द्वितीय और तृतीय अवधि के प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले भारतीय सेना और मित्र राष्ट्रों के आवेदन योग्य सभी ग्रेजुएट जेंटलमैन कैडेट्स को पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मिलिट्री स्टडीज एण्ड डिफेन्स मैनेजमेंट में अवार्ड किया जायेगा।
2)- वहीं दूसरी ओर वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय व के०वी०एस० प्रीमियर फाउंडेशन काशीपुर के बीच MOU होना हैं जिसका उद्देश्य एक प्रायोजित स्वर्ण पदक की स्थापना के साथ-साथ बी0टेक० के मेधावी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को प्रोत्साहित करना है। केवीएस प्रीमियर फाउंडेशन स्कॉलरशिप के नाम से दो हजार पांच सौ की धनराशि, सिविल इंजीनियरिंग में अध्ययनरत आर्थिक रूप से कमजोर व होनहार दो छात्रों को प्रति माह के आधार विश्वविद्यालय में संचित की जाएगी और उक्त पुरस्कार राशि को चयनित छात्रों को वार्षिक आधार पर पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जायेगी। उक्त छात्रवृत्ति वितरण हेतु एक तीन सदस्यीय छात्रवृत्ति प्रबंधन समिति होगी जो पुरस्कार हेतु छात्रों का चयन करेगी।
3)- इसी अवसर पर सी0एम0ए0आई0 एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के साथ मिल कर उच्च शिक्षा में आधुनिक आवश्यकताओं अनुरूप विशेषज्ञों की सेवाएं लेने तथा साइबर क्षेत्र जैसी नवीन विधाओं में ट्रेनिंग दिये जाने हेतु एक समझौता करार किया के जाना निर्धारित किया है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों आई०आई०टी० एन०आई०टी० आई०आई०एम० में प्रवेश पाये उत्तराखण्ड राज्य के स्थायी निवासी 251 छात्र – छात्राओं को मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कार स्वरूप 50 हजार रुपये की धनराशि प्रति स्टूडेंट को वितरित की जायेंगे।
पहली बार होगा एल्युमिनाई मीट का आयोजन
कुलपति प्रो० ओंकार सिंह ने कहा कि यू०टी०यू० एल्यूमिनी एसोसिएशन का गठन किया गया है जिसकी एग्जीक्यूटिव कमेटी बनाई गई है जिसमें विश्वविद्यालय के पास आउट छात्र सम्मिलित हैं। स्थापना दिवस पर विश्वविद्यालय की प्रथम एल्युमिनाई मीट का आयोजन भी किया जा रहा है। एल्यूमनी के लिए यूटीयू यंग एल्यूमिनी अवार्ड, यू०टी०यू० रिसेन्ट एल्यूमिनी अचीवमेंट अवार्ड व यू०टी०यू० रिसेन्ट एल्यूमिनी सर्विस अवार्ड की तीन श्रेणियां निर्धारित की गयी है। ये अवार्ड विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न पाठ्यक्रमों यथा- इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नोलॉजी, फार्मेसी, मैनेजमेंट, लॉ एवं होटल मैनेजमेंट के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को प्रदान किया जायेगा।