इंडियन एविएशन इंडस्ट्री को नेक्स्ट जनरेशन और न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए देहरादून इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, स्पाइसजेट और बोईंग मिल एक सार्थक पहल शुरू करने जा रहे हैं।
SpiceJet, Boeing and CSIR-IIP team up on sustainable aviation fuel
हिन्दुस्तान के आसमान को साफ रखने के लिए तीन संस्थान एक साथ Sustainable Aviation fuel
Sustainable Aviation fuel : बीते रोज शुक्रवार 25 मार्च को हैदराबाद में चल रहे विंग्स इंडिया 2022 नागरिक उड्डयन सम्मेलन में स्पाइसजेट, बोइंग और सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) ने इंडियन एविएशन इंडस्ट्री में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल Sustainable Aviation fuel (SAF) के उपयोग और संभावनाओं पर संयुक्त ढंग से काम करने के लिए एक अभियान की शुरुआत की। यह अभियान भारत सरकार के पर्यावरणीय लक्ष्यों में योगदान करते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करने के लिए संगठनों की प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है। आपको मालूम होगा कि सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल का इस्तेमाल कर के कार्बन उत्सर्जन को 65 फीसदी तक कम किया जा सकता है और इसी लक्ष्य के साथ यह तीनों संस्थान एक प्लेटफार्म पर काम करेंगे।
इस कार्यक्रम में मौजूद स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा कि यह प्रयास भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर कल का साधन है। उन्होने कहा कि यह बोइंग के साथ एक विस्तारित कार्य है, जिनके साथ हम पहले से ही अत्यधिक कुशल 737 मैक्स प्रोग्राम के माध्यम से एक मजबूत साझेदारी साझा करते आ रहे हैं। साथ ही उन्होंने भारतीय पेट्रोलियम संस्थान को लेकर कहा कि यह भारत में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) के विकास के लिए सबसे आगे हैं। और तीनो संस्थाओं द्वारा मिल के किया जाने वाला यह कार्य भारत मे हवाई यात्रा सुनिश्चित, सुरक्षित और किफायती करने की दिशा में एक कदम है। तो वहीं बोइंग इंडिया के अध्यक्ष सलिल गुप्ते ने कहा, “हम सस्टेनबल एविएशन को आगे बढ़ाने के लिए स्पाइसजेट के साथ काम करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जिसके साथ हमारी पहले से ही एक स्थायी साझेदारी है, और भारत में एसएएफ को सक्षम करने के लिए उत्प्रेरक होने के लिए आईआईपी का आभार व्यक्त करते हैं।
सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के निदेशक अंजन रे ने कहा, “हमारा संस्थान भारत में पहला और वर्तमान में एकमात्र संगठन है जो देश के लिए देश में पूरी तरह से स्वदेशी एसएएफ विकसित कर रहा है। भारतीय आसमान को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने में योगदान देने के लिए स्पाइसजेट और बोइंग के साथ साझेदारी करके हमें खुशी हो रही है।”
कंपनियां सीएसआईआर-आईआईपी और उसके उत्पादन भागीदारों और लाइसेंसधारियों से एसएएफ आपूर्ति का लाभ उठाने के लिए मिलकर काम करेंगी ताकि स्पाइसजेट को अपने बेड़े को डीकार्बोनाइज करने में मदद मिल सके। SAF भविष्य में 100 पीसी तक पहुंचने की क्षमता के साथ ईंधन के जीवन चक्र में CO2 उत्सर्जन को 65 पीसी तक कम कर सकता है। इसे अगले 20 से 30 वर्षों में विमानन को डीकार्बोनाइज करने की सबसे तात्कालिक और सबसे बड़ी क्षमता की पेशकश के रूप में मान्यता प्राप्त है।