उत्तराखंड के दो शिक्षक आशीष डंगवाल और उत्तरा पंत बहुगुणा के कारनामों ने प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को देखने का नजरिया बदला है।
वो शिक्षक ही है जिनसे आज हम सब पढ़-लिख कर कही ना कहीं पहुचं पाए हैं। वो चाहे मै हूं जो लिख रहा हूँ, या आप जो पढ़ रहे हो। हम सब ने गांव में आंगनबाड़ी से लेकर बेसिक, प्राइमरी, जूनियर हाई स्कूल, इंटर कॉलेज तक जितने भी शिक्षकों या शिक्षिकाओं से हमने शिक्षा ली है उसका असर हम पर जीवन भर कहीं ना कहीं हम पर रहेगा ही और वो समय समय पर हमें महससू भी होता है।
जब तक हम सबने होश नही संभाला तक तक वो शिक्षक ही थे जो हमे संभाल रहे थे। ऐसे ही हजारों शिक्षकों में से दो शिक्षक आशीष डंगवाल और उत्तरा पंत बहुगुणा ने हमे अहसास करवाया कि कैसे आज पहाड़ों पर पहाड़ जैसे संघर्ष के बीच भी शिक्षक आने वाली भविष्य की नींव को मजबूत करने में लगे हैं। पिछले कुछ समय में बहुत ज्यादा चर्चाओं में आये इन दोनों शिक्षकों की क्या है कहानी आइए आपको बता ते हैं।
हजारों शिक्षकों के दर्द को मुख्यमंत्री के सामने बेबाकी से उठाया।
58 वर्षीय अध्यापिका उत्तरा पंत बहुगुणा ने 28 जून 2018 को मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अपनी समस्या को उठाकर पूरे प्रदेश के शिक्षकों की समस्या पर सबको ध्यान देने के लिए मजबूर कर दिया था। दरअसल उत्तराखंड बहुगुणा पिछले 25 सालों से उत्तरकाशी जिले के दुर्गम क्षेत्र शिक्षिका पद पर तैनात थी और कुछ समय पहले उनके पति का निधन हुआ था और उनके बच्चे भी उनसे दूर रहते थे जिसके बाद उन्होंने परेशान होकर मुख्यमंत्री दरबार में इस बात को रखा लेकिन मुख्यमंत्री और उनके साथ हुई नोकझोंक ने सबका ध्यान खींचा।
सीएम और शिक्षिका उत्तरा पंत की बीच हुई बहस का मामला इतना इसके बाद यह विषय राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा और उत्तराखंड में शिक्षकों के साथ ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर हो रही अनियमितता को एक नई आग मिली। साथ ही इस प्रकरण के बाद खास और आम के बीच का फर्क भी प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में सबके सामने आया। लोगों ने शिक्षिका के रूप में मुख्यमंत्री की पत्नी के पिछले कई सालों से देहरादून में ही रही पोस्टिंग पर खूब सवाल उठाया। इस प्रकरण के बाद उत्तरा को कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा लेकिन वो डगमगाई नही ओर यह प्रदेश के शिक्षकों के लिए एक प्रेरणा बन गयी और उसके बाद शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सरकार पहले से ज्यादा गंभीर हुई। उत्तरा का ट्रांसफर तो नही हुआ लेकिन उसके बावजूद भी शोसल मीडिया पर समय समय पर वो पहाड़ो के स्कूलों में व्याप्त समस्या से सम्बंधित फ़ोटो वीडियो डालती रहती है।
ट्रांसफर होने पर गांव से गए तो रोने लगा पूरा गांव।
उत्तरकाशी के भगोली इंटर कॉलेज में एलटी शिक्षक के रूप में तैनात आशीष डंगवाल की फोटो 22 अगस्त 2019 को अचानक से इंटरनेट पर वायरल होने लगी जब उन्होंने अपने ट्रांसफर की फोटो फेसबुक पर डाली। दरअसल उनके रिटायरमेंट पर पूरा गांव रो पड़ा था और उनकी ट्रांसफर पर उन्हें गांव से इस तरह से विदा किया जा रहा था जैसे कोई अपने घर से बेटी को विदा करता है। आशीष डंगवाल से ग्रामीणों का यह प्यार उनकी शिक्षा प्रणाली और उनके व्यवहार और पढ़ाने की नई तकनीकों की वजह से था। आशीष गंगवाल के ट्रांसफर के बाद उनसे पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं फूट-फूट कर रोने लगे।
शिक्षक और छात्र के बीच का संबंध उत्तराखंड के हर एक व्यक्ति को दिल पसीज गया और लोगों को अहसास हुआ कि कैसे हमारे शिक्षक अपने घरों से दूर रहकर विषम परिस्थितियों में उत्तराखंड के नोनिहालों का भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। आशीष डंगवाल के ट्रांसफर की ये फोटो पूरे उत्तराखंड में वायरल हो गयी। कुछ ही घंटों में उनकी फेसबुक पोस्ट पर हजारों लाखों लाइक, कमेंट और शेयर करने लगे। शिक्षकों के प्रति लोगों का एक नया नजरिया विकसित हुआ।
हजारों शिक्षकों में से ये केवल दो शिक्षकों की कहानी है। लेकिन उत्तराखंड के हर एक दूर दराज गांव में पैदल चल कर, परेशानियों में रह कर और विभागीय प्रेशर झेल कर ना जाने कितनी ऐसी कहानी है जो लाख दर्द के बाद भी मुसकुराते हुए हर एक बच्चे के भविष्य का निर्माण कर रही हैं। प्रमोशन, ट्रांसफर, नियुक्ति, जांच और ना जाने कितने ऐसे विषय है जिससे हर एक अध्यापक अध्यापिका परेशान रहते हैं लेकिन आज अगर इन शिक्षकों का असर देखना है तो कुछ मत देखिये केवल खुद को ही देख लीजिए। हम आज जिस भी लायक हुए है उन्ही शिक्षकों की वो देन है। शिक्षक दिवस पर में अपने उन सभी शिक्षकों को तहे दिल से याद करता हूँ और नमन करता हूँ जिन्होंने मुझे आज अपने जीवन मे आगे बढ़ने लायक बनाया है।