देश की सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से कोविड इलाज के दौरान हुए ओवरचार्ज को लेकर जवाब मांगा है। तो वही सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर जाने वाले देहरादून के अभिनव थापर ने एक अभियान शुरू किया है कि जिस किसी से भी कोविड इलाज के दौरान मानको से ज्यादा पैसे लिये गए उसकी लड़ाई अभिनव लड़ेंगे बस आपको अभिनव को सम्पर्क करना है।
Overcharge during the treatment of covid can be recovered,
आपसे ओवरचार्ज हुआ है या नही ऐसे पता करें
जिस वक्त पूरे देश कोविड अपने पीक पर था और पूरा देश और दुनिया दहशत में थी और लोगों के अपनी जान बचाने के लिए अस्पतालों की दहलीज पर दर दर भटक रहे थे तो उसी वक्त कुछ लोगों द्वारा खुली लूट मचाई जा रही थी जिसकी कई शिकायतें भी शासन प्रशासन तक पहुचीं। कोविड के पीक के दौरान यंहा तक मामले सामने आए की एक एक घंटे के कोविड मरीजों से लाखों वसूले गए। लेकिन इस तरह से जब हद से ज्यादा शिकायतें आने लगी तो केंद्र सरकार ने नीति आयोग की एक समिति के रिकमंडेशन से पूरे देश में प्राइवेट हस्पतालों के लिये जून 2020 में गाइडलाइंस जारी की गई जिसमें प्राइवेट हस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए रेट निर्धारित कर दिए गए। प्राइवेट अस्पतालों में कोविड ट्रीटमेंट को लेकर केंद्र सरकार द्वारा जारी की इस गाइडलाइंस को सभी राज्यों ने लागू किया और उत्तराखंड सरकार ने भी 2 सितंबर 2020 को जारी गाइडलाइंस में कोरोना मरीजों के लिए प्राइवेट हस्पतालों में प्रतिदिन का चार्ज निर्धारित कर दिया था जो इस तरह से था –
यह थे मानक
- ऑक्सिजन बेड– 8-10 हजार रुपये प्रतिदिन
- आई०सी०यू० बेड– 13-15 हजार रुपये प्रतिदिन
- वेंटिलेटर बेड– 18 हजार रुपये प्रतिदिन
इसमे सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि बेड चार्ज में PPE किट, दवाइयां, बेड, जाँच, खाना सहित अस्पताल के सभी खर्चे इसमे शामिल थे यानी अस्पताल के लिए निर्धारित किये गए इस रेट से अतिरिक्त कोई भी पैसा नही देना था, हां केवल रेमडीसीवीर दवाई के पैसे अलग थे। लेकिन फिर भी राज्य कई हस्पतालों ने मरीजों से लाखों रुपये के बिल वसूले गये।
आपको करना क्या है
उत्तराखंड के सभी कोरोना पीड़ितों के लिये हेल्पलाइन नम्बर व ईमेल जारी किया गया है, जिसपे कोई भी पीड़ित अपने या अपने दोस्त,रिश्तेदारों, जानकारों के हॉस्पिटल, दवाई के बिल, कोरोना की रिपोर्ट और डिस्चार्ज समरी
whatsapp या ईमेल कर सकते है:
व्हाट्सएप नम्बर – 9870807913
ईमेल id- [email protected]
कौन है अभिनव थापर
कोविड काल मे जब हर कोई परेशान था और लोग अपने परिजनों की जान बचाने के लिए दर दर की ठाकरे खा रहे थे तो उसी दौरान समाज के कई लोगों ने आगे आकर इंसानियत के जज्बे को आत्मसात किया और लोगों की मदद की। इन्ही लोगों में से एक देहरादून के समाज सेवी अभिनव थापर भी है जिन्होंने कोविड काल में आगे आकर लोगों की मदद में खुद को लगाए रखा। अभिनव थापर ने कोविड काल मे ही नही उसके बाद भी उस दौरान लोगों के साथ हुई अवैध वसूली को लेकर आवाज उठाई। आमजन को प्राइवेट हस्पतालों से पैसे वापसी” के लिये देहरादून, उत्तराखंड निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली में जनहित याचिका लगाई। माननीय सुप्रीम कोर्ट की संयुक्त पीठ ने इस याचिका के ” प्राइवेट हॉस्पिटल के अत्याधिक बिल चार्ज करने की अनियमिताओं , मरीजों को रिफंड जारी करने व पूरे देश के लिये सुनिश्चित गाइडलाइंस जारी करने विषय मे स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।”
यंहा हुए है ओवरचार्ज के पैसे वापस
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि इन्ही नियमानुसार हजारों कोरोना पीड़ितों को प्राइवेट हस्पतालों द्वारा पुणे में 6 करोड़ और तेलंगाना में 3 करोड़ रुपये वापिस हुए है, इसी आधार पर हम उत्तराखंड के कोरोना पीड़ितों के अधिक बिल प्रतिपूर्ति हेतु माननीय सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में भी लाया जाएगा।
कोविड की दोनों लहरों ने मचाया था कोहराम, क़रीब 1 करोड़ लोग गए अस्पताल
पिछले दिनों पूरे भारत मे कोरोना महामारी ने अपने पैर पसार रखे थे जिससे कोई भी अछूता नहीं रहा है। भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो किन्तु पूरे देश में इसने अपने चरम पर दोनों-लहरों में त्राहिमाम मचाया और लाखों लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया। अबतक भारत मे 3.42 करोड़ लोगों को कोरोनो हुआ जोकि पूरे विश्व मे चिंताजनक पहले स्थान पर है। कोरोना से लोगो को जान-माल हानि के साथ-साथ आर्थिक मार भी झेलनी पड़ी है । भारत के मध्यम- वर्ग और निचले वर्ग के 90 % प्रतिशत आबादी के कई लोगों की नौकरियां-व्यापार पर खतरा मंडराया, तब भी उन्होंने अपने परिवार वालो को बचाने के लिये प्राइवेट हस्पतालों में अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया । भले ही कोरोना का कहर अब कम हो गया हो किन्तु प्रदेश में अबतक 3.44 लाख लोगों को कोरोना हुआ है और प्रदेश का डेथ-रेट भी 2.15 % रहा जोकि पूरे भारत मे चिंताजनक दूसरे स्थान पर है। एक अनुमान के मुताबिक कोरोना शुरू होने से अबतक देशभर में लगभग 1 करोड़ लोगों को कोरोनो के कारण मजबूरी में प्राइवेट हस्पतालों का रुख लेना पड़ा और अधिकतर लोगों को ” गाइडलाइंस से अधिक बिल” की मार झेलनी पड़ी ।