साल की शुरुआत में जोशीमठ (Joshimath sinking update) के कई घरों और जमीन में आई बड़ी–बड़ी दरारें और भूधासव को लेकर की गई NDMA के द्वारा जांच की रिपोर्ट आने के बाद अब जोशीमठ में नए निर्माण पर रोक के साथ ही जोशीमठ को तीन अलग अलग हाई रिस्क जोन में बांटा गया है |
NDMA Report on Joshimath Sinking
जोशीमठ मे अब रेनोवेशन में भी दिक्कत, 4 जॉन में बंटे गए सभी मकान | NDMA Report on Joshimath Sinking
तकरीबन आठ महीना की माथा बच्ची के बाद नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने जो अलग-अलग तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर जोशीमठ के हालातो को लेकर के रिपोर्ट तैयार की है। जिस रिपोर्ट में कई तरह की अहम बातें कही गई है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ की घटनाक्रम पर विस्तार में तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार पूरे शहर को तीन अलग अलग हाई रिस्क जोन, मीडियम रिस्क जॉन और लो रिस्क जोन जोन में बांटा गया है। वहीं इसके अलावा सीबीआई इंस्टीट्यूट रुड़की द्वारा किए गए जांच के बाद जोशीमठ शहर में मौजूद मकान को भी कर अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है जो कि इस तरह से है।
शहर के मकानों की बांटी गई कैटेगरी | NDMA Report on Joshimath Sinking
ब्लैक केटेगिरी – यह वो मकान है जो की हाई रिस्क जोन में मौजूद है और इन्हें हटाए जाना बेहद जरूरी है। इन मकानों को पूरी तरह से हटाया जाएगा और यहां पर दोबारा किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जाएगा ये फैसला लिया जा चुका है।
रेड कैटगिरी – रेट कैटेगरी के मकान भले ही हाईरिस्क जोन में ना हो लेकिन इन्वेस्टिगेशन के बाद इन्हें भी क्षतिग्रस्त किया जाना है और इन पर दोबारा किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता है।
यलो केटेगिरी – येलो कैटेगरी के मकान वह मकान है जो कि क्षतिग्रस्त तो है लेकिन इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के बाद डीपीआर में इनके निर्माण को लेकर के विचार किया जा सकता है।
ग्रीन कैटेगरी – ग्रीन कैटेगरी के मकान वह मकान है जो किसी भी तरह के रिस्क जोन में मौजूद नहीं है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है।
रेड जॉन एरिया में बनाया जायेगा भव्य गार्डन | NDMA Report on Joshimath Sinking
गार्डन निर्माण के बारे में जानकारी देते हुए सचिव सिन्हा ने बताया की जोशीमठ में हाई रिस्क जोन का डिमार्केशन हो चुका है और भारत सरकार की मंजूरी मिलने के बाद इस हाई रिस्क जोन में सभी निर्माण कार्यों को ध्वस्त किया जाएगा और यहां पर किसी भी तरह का निर्माण नही होगा। साथ ही इस हाई रिस्क जोन में सभी मकान और अन्य निर्माणों को हटाकर एक भव्य गार्डन का निर्माण किया जाएगा।
हाई रिस्क जोन में और घरों का होगा ध्वस्तीकरण | NDMA Report on Joshimath Sinking
आपदा प्रबंधन सचिव रणजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि हाई रिस्क जोन के डीमार्केशन और उसके निर्धारण को लेकर के मैप तैयार किया गया है, इस मैप को जिला प्रशासन को भी उपलब्ध कराया गया है। हाई रिस्क जोन में कुछ बड़े इलाके हैं और कुछ छोटे-छोटे इलाके शामिल किए गए हैं। इनमें ज्यादातर उन इलाकों को लिया गया है जहां पर घरों में और जमीन पर बड़ी दरारें हैं। PDNA की रिपोर्ट में यह फैसला लिया गया है कि इस हाई रिस्क जोन में जोशीमठ के सिंह धार, मारवाड़ी, सुनील गांव इत्यादि इलाके मौजूद हैं।
विस्थापन की प्रक्रिया में लग रही है देरी | NDMA Report on Joshimath Sinking
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया की PDNA यानी पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट की आखिरी रिपोर्ट में विस्थापन और पुर्ननिर्माण के लिए 1800 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। उन्होंने यह भी बताया की इसमें 14065 करोड़ केंद्र द्वारा दिया जाना है तो वहीं बाकी राज्य अपने संसाधनों से व्यवस्था करेगा।
जोशीमठ पर विस्थापन की मौजूदा स्थिति की बात की जाए तो आपदा प्रबंधन सचिन के अनुसार अब तक 150 लोगों को मुआवजा वितरित किया जा चुका है जो कि राज्य सरकार ने अपने राज्य के (Joshimath Sinking) बजट से दिया है और यह प्रक्रिया लगातार जारी भी है। वहीं इसके अलावा भारत सरकार द्वारा भी सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है और केंद्र द्वारा बजट रिलीज होते ही बाकी मुआवजे की कार्रवाई भी शुरू कर दी जाएगी।
गद्दीस्थल जोतिर्मथ को किया जाएगा सुरक्षित | NDMA Report on Joshimath Sinking
उच्च हिमालय क्षेत्र में बसे उत्तराखंड के पौराणिक और ऐतिहासिक शहर जो कि अब सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हो चुका है इसे बचाने के लिए पिछले कई महीनो से उत्तराखंड सरकार में आपदा प्रबंधन और केंद्र में नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन अथॉरिटी मिलकर कई तकनीकी संस्थानों के साथ जो सिमट शहर को बचाने को लेकर रणनीति तैयार कर रही है।
और अब सभी संस्थाओं के साथ मिलकर एनडीएमए मैंने अपनी फाइनल रिपोर्ट दे दी है। जिसमें की जोशीमठ (Joshimath Sinking) शहर के पुनर्निर्माण को लेकर के विस्तार में बातें कही गई है तो वही जोशीमठ का जो प्रमुख ज्योतिर्लिंग और आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित गद्य स्थल है उसको लेकर के भी आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति को स्पष्ट किया है और सचिव रणजीत सिंह का कहना है की गद्य स्थल को पूरी तरह से रेट्रो फिटिंग कर या फिर जो भी उसमें उपचार लगेंगे उनका इस्तेमाल कर उसे उसी जगह पर संरक्षित और सुरक्षित किया जाएगा।
जोशीमठ से जुड़ी कुछ रोचक बातें | NDMA Report on Joshimath Sinking
1 – हिमालय की गोद में अलकनंदा नदी बीच बसा जोशीमठ शहर
2 – जोशीमठ शहर देश के लिए धार्मिक, पर्यटक और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण
3- जोशीमठ में आठवीं सदी में स्वयं आदिगुरु शंकराचार्य ने ज्योतिर्मठ की स्थापना की थी जो कि सनातन धर्म में वैदिक शिक्षा एवं ज्ञान का महत्वपूर्ण केंद्र है। इसके बाद ही उन्होंने चिकमंगलूर (कर्नाटक) में शृंगेरी मठ, जगन्नाथपुरी (ओडिशा) में गोवर्धन मठ और द्वारका (गुजरात) में शारदा मठ की स्थापना की थी।
4 – देश के लिए सीमा सुरक्षा के लिहाज से भी जोशीमठ एक महत्वपूर्ण स्थान है। चीन सीमा से मात्र 100 किलोमीटर दूर जोशीमठ में भारतीय सेना का एक बड़ा बेस कैंप भी हैं।
5- जोशीमठ बद्रीनाथ यात्रा के लिए बेहद महत्वपूर्ण पड़ाव है। बद्रीनाथ जाने वाले यात्री जोशीमठ से होकर गुजरते हैं और चार धाम यात्रा करने वाला हर व्यक्ति दुश्मन में मौजूद मठ मंदिरों में भी अवश्य जाता है।
6 – पर्यटन के लिहाज से भी जोशीमठ शहर बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि जोशीमठ से कुछ ही किलोमीटर दूर औली विंटर गेम्स के लिए आज अंतर्राष्ट्रीय डेस्टिनेशन के रूप में उभर कर आया है।
7 – इसी साल 2023 की शुरुआत में जोशीमठ शहर में बड़ी-बड़ी दरें जमीनों में और मकान में देखने को मिली। कई जगह पर जमीन से अचानक पानी फूटने लगा इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार हरकत में आई।
8- केंद्र और राज्य सरकार की तकनीकी एजेंसियों द्वारा कई महीनो तक की गई गहन इन्वेस्टिगेशन के बाद NDMA में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
9 – NDMA ने अपनी रिपोर्ट में जोशीमठ के कुछ इलाकों को हाई रिस्क जोन में बदल दिया है। और फिलहाल नए निर्माण पर भी रोक लगा दी हैं।
10 – जोशीमठ शहर के विस्थापन और पुर्ननिर्माण को लेकर उत्तराखंड सरकार और भारत सरकार ने 1800 करोड़ का प्लान तैयार किया हैं।
Joshimath sinking : जोशीमठ आपदा की अपडेट तस्वीरों के साथ जाने।