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चमोली में आई भीषण आपदा के सभी पहलुओं पर शोध के लिए गठित की गई समिति की पहली टीम आज चमोली जोशीमठ के नंदा देवी के पहाड़ियों पर भारतीय वायुसेना की मदद से पहुंची जंहा पर वेज्ञानिको द्वारा कई फोटोग्राफ लिए गए और आपदा के अलस कारणों को करीब से देखा गया।

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गुरुवार को उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के तहत नौ अलग-अलग शोध संस्थाओं को चमोली में आई भीषण आपदा पर शोध के लिए अधिकृत करते हुए विस्तृत रिपोर्ट के लिए समिति का गठन किया गया जिसकी आज पहली टीम इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग (IIRS) की टीम नंदा देवी के पहाड़ियों पर हवाई मार्ग से पहुंचे। इस टीम में Director IIRS Dr Prakash Chauhan मौजूद थे। इसके अलावा उत्तराखंड आपदा प्रबन्धन से मिली जानकारी के अनुसार SDRF, DRDO देहरादून और इसरो IIRS कुल मिलाकर 12 लोगों की टीम आज घटनास्थल यानी चमोली आपदा के मुख्य बिंदु जो कि चमोली के रैणी गांव के ऊपर नांनाददेवी की सुदूर उच्च हिमालयी क्षेत्र में मौजूद है वंहा के लिए रवाना हुई।

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घटनास्थल पर हवाई मार्ग से पहुंचे Director IIRS Dr Prakash Chauhan ने अपने ऑफिशियल अकाउंट पर चमेली आपदा के मुख्य उदगम स्थल के फोटोग्राफ पोस्ट करते हुए लिखा के चमोली में आई भीषण आपदा को लेकर इसरो द्वारा जारी की गई सैटलाइट इमेज पुख्ता हो गई है जिसमें लैंडस्लाइड को साफ तौर से देखा जा सकता है जोकि आपदा के लिए जिम्मेदार है। साथ ही आईआईआरएस के निदेशक ने भारतीय वायुसेना और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन का भी आभार व्यक्त किया।

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इसके अलावा उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पीयूष रौतेला ने बताया कि अलग-अलग शोध संस्थानों द्वारा अपने अपने स्तर पर शोध किया जा रहा है और भविष्य के जोखिम के साथ-साथ मौजूदा समय के जोखिमों को पर शोध किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि चमोली रैणी गांव के समीप ऊपर पहाड़ों पर आई इस आपदा को लेकर 10 से 15 दिनों में सभी शोध संस्थानों द्वारा एक निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा जिसके बाद एक संयुक्त रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि रानी गांव के ऊपर पहाड़ियों पर हुए लैंडस्लाइड के बाद वहां पर पानी का बहाव रुकने से जिनी का निर्माण हुआ था लेकिन अब उस झील से पानी का रिसाव शुरू हो चुका है।

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