विधानसभा सत्र के दौरान उस वक्त अचानक विपक्ष ने बबाल मचा दिया जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने विधानसभा सदन में वर्चुअल शामिल होने की फ़ोटो tweet कर दी। विपक्ष ने धारा 198 सूचना मांगी कि सदन के किसी व्यक्ति द्वारा क्या सदन के भीतर बैठ कर अपनी फोटो को ऐसे प्रकाशित किया जा सकता है जो कि विधानसभा की नियमावली के विरुद्ध है या फिर मुख्यमंत्री को कार्यवाही से बाहर किया जाय।
उत्तराखंड विधानसभा से शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कोविड के मध्यनजर की गई व्यवस्था के अनुसार कुछ विधायक विधानसभा परिसर के कक्ष संख्या 107 जो कि सदन का हिस्सा माना गया है उस से जुड़े तो वहीं मुख्यमंत्री कोविड ग्रसित होने की वजह से अपने आवास से ही सत्र में जुड़े हालांकि मुख्यमंत्री आवास जंहा से मुख्यमंत्री जुड़े थे वह नियमानुसार सदन का हिस्सा माना गया है या नही यह स्पष्ट नही है। सदन शुरू होने के बाद जैसे ही प्रश्न काल चल रहा था तो इसी बीच अचानक ठीक 01:03Pm पर मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट से वर्चुअल सदन में भाग लेते हुए अपनी फोटो ट्वीट की गई जिस पर विपक्ष बिफर गया।
विपक्ष में मौजूद कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन ने सदन में धारा 198 के तहत सवाल उठाते हुए विधानसभा अध्यक्ष से पूछा कि कोविड-19 के चलते उनके द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सदन के कुछ परिसर को सदन का ही हिस्सा तो मान लिया गया है लेकिन मुख्यमंत्री जो कि अपने आवास से सदन से जुड़े हैं क्या वह सदन का हिस्सा है..? और अगर वह सदन का हिस्सा है तो वह अपनी तस्वीर को खींचकर कैसे ट्वीट कर सकते हैं जबकि यह संसदीय नियमावली का उलंघन है। काजी ने कहा कि सदन के भीतर मौजूद अपनी किसी भी फ़ोटो को किसी भी जगह प्रकाशित सदन की गरिमा का उलंघन है, उन्होंने पूछा क्या मुख्यमंत्री सदन का हिस्सा है तो इस पर कार्यवाही हो अन्यथा मुख्यमंत्री को सदन की कार्यवाही से बाहर किया जाय।
भविष्य में घट सकती है कोई बड़ी घटना…
विधानसभा के भीतर हुए इस घटनाक्रम पर काजी निजामुद्दीन का कहना है कि इस तरह की प्रक्रिया भविष्य में किसी बड़े संकट को न्योता दे सकती है। उन्होंने कहा कि इस तरह से अगर किसी बड़े प्रस्ताव पर वोटिंग होनी हो या फिर सरकार बनने और गिरने जैसा कोई बड़ा मामला हो और तब अगर इस तरह के प्रावधानों का हवाला देकर किसी दूसरी जगह से इस तरह के गैर जिम्मेदाराना घटनाक्रम को अंजाम दिया जाएगा तो उस स्थिति में राज्य के ऊपर एक संवैधानिक संकट होगा और यह अपने आप में संसदीय परंपराओं के लिए एक सबसे दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण बन कर सामने आएगा। काजी निजामुद्दीन का कहना है कि तकनीकी का आधुनिकरण हो रहा है लेकिन इसका प्रयोग करने के लिए हमें नियमों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट करने की जरूरत है और पहले से अधिक नियमों के प्रति सख्त होने की जरूरत है।
सत्ता पक्ष ने की लीपा पोती, मदन कौशिक ने दी सफाई…
मामले को बिगड़ता देख सत्ता पक्ष की ओर से संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने मोर्चा संभाला और कहा कि कोविड-19 महामारी एक्ट के चलते सदन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए तमाम प्रावधान किए गए हैं जिनमें से विधानसभा परिसर में के कक्ष संख्या 107 को भी सदन का हिस्सा माना गया है और उसी क्रम में मुख्यमंत्री को भी सदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोड़ा गया था हालांकि बात जहां तक ट्वीट की है तो उन्होंने कहा कि यह भूलवश हुआ है और आगे से इसका ख्याल रखा जाएगा लेकिन विधानसभा पीठ की तरफ से ना तो ट्वीट को डिलीट करने का निर्देश दिया गया और ना ही कार्यवाही से बाहर करने का निर्देश दिया गया।