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चमोली आपदा में चीन सीमा की तरफ जाने वाले इस पुल के टूटने से रैणी सहित 13 गांवों से भी सम्पर्क टूट चुका था। जो कि अब BRO द्वारा 8 दिन के अंदर बनाये गए वैली ब्रिज के बनने से एक बार फिर मुख्य धारा से जुड़ गए हैं।

BRO rebuilt 200 feet long Bailey bridge in 8 day’s
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आपदा ने नदी की चौड़ाई को तीन गुना तक बड़ा दिया

7 फरवरी 2021 को उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में रैणी गांव के ऊपर ऋषिगंगा नदी में भूस्खलन और ताजा बर्फ के एक बड़े हिस्से के टूट जाने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी में आये मलवे और सैलाब ने ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट और NTPC पॉवर प्रोजेक्ट को नेस्ते नाबूत कर दिया। इस आपदा में 204 लोग लापता है और कई लोगों के शव आज भी बरामद किये जा रहे है। चमोली आपदा में केवल इन दो हाइड्रो प्रोजेक्ट को ही नुकसान नही हुआ था बल्कि चीन सीमा पर जाने वाले और इस क्षेत्र में 13 गांवों को जोड़ने वाले 70 फ़ीट स्पान वाले मोटर पुल को भी यह सैलाब ताश के पत्तो की तरह ढहा कर लर गया।

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आपदा राहत कार्यों में इस पुल को दुबारा से स्थापित करना एक बड़ी चुनोती थी जिसके लिए बॉर्डर रोड़ ऑर्गनाइजेशन को यह टास्क दिया गया। 7 फरवरी को आई त्रासदी इतनी खरतनाक थी कि उस दिन आयी बाड़ से नदी की चौड़ाई तीन गुना बड़ा दी। पहले इस वैली में बने पुल का स्पान 70 फिट था लेकिन अब वैली की चौड़ाई इतनी बढ़ चुकी है कि बोर्डर रोड़ ऑर्गनाइजेशन को इस जगह पर 200 फिट स्पान का वैली ब्रिज बनना पड़ा है। शुक्रवार को बीआरओ ने इस पुल को आवाजाही के लिए खोल डियांजे और BRO ने इसे वैली ब्रिज नाम दिया है।

BRO ने 8 दिन में बना दिया पुल। समय सीमा से 15 दिन पहले किया तैयार।

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चमोली आपदा में क्षतिग्रस्त हुआ पुल 70 फिट स्पान का था। आपदा के बाद नदी का स्पान बड़ कर 200 फिट हो चुका है जिस में बॉर्डर रोड़ ऑर्गनाइजेशन ने 8 दिनों के भीतर 200 फिट स्पान का पुल बनाकर तैयार कर दिया है। बीआरओ के अधिकारी चीफ इंजीनियर एएस राठौर ने बताया कि 7 फरवरी को चमोली आपदा में बह चुके पुल के टूट जाने के बाद पूरी नदी के दोनों तरफ कई फिट तक मलवा फेल गया था जिसके बाद इस वैली में दुबारा पुल बनना काफी चुनौती भरा था। उन्होंने बताया कि चीन सीमा पर जाने वाले इस पुल से 13 गांवों का भी संपर्क टूटा हुआ था जिस पर BRO ने ततपरता दिखाते हुते अपने तय समय सीमा से 15 दिन पहले केवल 8 दिन में इसे तैयार कर के खोल दिया है।

13 गांव फिर से मुख्यधारा से जुड़ेंगे।

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7 फरवरी को चमोली में आयी भीषण आपदा में रैणी गांव के समीप चीन सीमा पर जाने वाले एक बड़े मोटर पुल के बह जाने से चीन सीमा के साथ साथ 13 गांवों से भी सम्पर्क टूट चुका था। आपदा के शुरुवाती दिनों में इस पूरे इलाके में आपदा राहत कार्यों के तहत लोगों तक हवाई सेवा द्वारा राहत सामग्री पहुचाई गयी तो वहीं कुछ दिनों बाद एक अस्थायी रोप वे भी लोक निर्माण विभाग द्वारा यंहा बनाया गया था। सरकार द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयासों से हालांकि लोगों को काफी राहत मिली लेकिन फिर भी सम्पर्क मार्ग ना होने की वजह से इस क्षेत्र में पड़ने वाले 13 गांव मुख्य धारा से कटे हुए थे जो कि अब बीआरओ द्वारा बनाये गए इस वैली ब्रिज के खुल जाने से राहत की सांस ले रहे है। इतना ही नही चीन सीमा की तरफ जाने वाला यह पुल सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। बीआरओ के अधिकारियों ने बताया कि इस पुल को अपनी समय सीमा से 15 दिन पहले ही केवल 8 दिनों में बनाकर तैयार कर दिया गया है।

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