मुख्यमंत्री जी की छापेमारी की चर्चाएं आज पूरे प्रदेश में है। लोग जम कर तारीफ कर रहे हैं तो आलोचको का भी सवाल है कि आखिर मुख्यमंत्री जी को फॉर्म में आने में 4 साल लग गए.. ऐसा क्यों ? वैसे आज कल नेताओं में ये नया ट्रेंड आया है नायक फ़िल्म कि तरह फैसला “ऑन द स्पॉट” वाला। आम आदमी पार्टी इस फॉर्मेट से ज्यादा प्रभावित है और लोग इसे पसंद भी करते हैं। सवाल यह भी नही है कि कौन किस से प्रभावित है। सवाल यह है कि क्या अब ऐसे निरीक्षण होते रहेंगे ? कब तक ? क्या चुनाव तक या बस यही एक पहला और आखिरी था ? क्यों कि साहब हालात तो इस से भी बत्तर है ऑफिसों के…
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मुख्यमंत्री ने मंगलवार को देहरादून सर्वे चौक स्थीत गढ़वाल कमिश्नर के कार्यालय पर आचानक पंहुचकर जितना कमिश्नरी में काम कर रहे लोगों को चौकांया, उतना ही राज्य के अन्य लोग भी इस घटना के बाद आश्चर्य चकित थे। यही नही पूरे दिन हर कोई जिसे भी इस अप्रत्याशित घटना की जानकारी थी वह यह सोचता रहा कि आखिर एसा क्या हुआ..? क्या किसी ने कोई शिकायत की है या फिर मुख्यमंत्री को कुछ अनियमितता की सूचना मिली है या फिर कमिश्ननरी की तरफ से कुछ गलतियां हुआ है लेकिन शाम होने तक मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी किये गये बयान और कुछ फुटेज और तस्वीरों से काफी हद तक साफ हो गया कि यह केवल एक ओचक निरिक्षण ही था जेसा की अमुमन मोजूदा दौर की राजनिती में देखा जा रहा है जिसमें दिल्ली की आम आदमी पार्टी सबसे आगे है। आपने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के इस तरह के विडियो जरुर शोसल मीडिया पर देखें होगें।
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बहरहाल शाम को मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी किये गये बयान में इस निरिक्षण को लेकर कुछ बाते कहीं गई जिसमें कार्यालय उपस्थीती में लापरवाही, फाइलों में लेटलतीफी इत्यादी। लेकिन यह आलम कमिश्निरी में नही बल्की आप पब्लिक सेक्टर से जुड़े किसी भी कार्यालय में चले जाइए आपको इसी तरह के हालात नजर आएंगे। केवल गढवाल कमिश्नरी नही सब जगह इसी तरह के हालात है और यह हालात आज एक दिन में नही बने। मौजूदा सरकार की ही बात करें तो इस तरह के हालात पिछले चार सालों से सभी कार्यालयों के है लेकिन आज तक सीएम साहब तो दूर की बात किसी मंत्री और विधायक ने भी ये हिम्मत नही जुटाई। खैर सीएम ने देर में ही सही हिम्मत तो जुटाई और इस से कम से कम पब्लिक सेक्टर से जुड़े कार्यालयों पर कुछ तो असर पड़ेगा। मुख्यमंत्री के आज के इस औचक निरिक्षण और उसके बाद की गई कार्यवाही से अधिकारियों में यह डर तो आएगा कि सीएम साहब कभी भी कहीं भी धमक सकते हैं।
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