देहरादून में नए SSP के रूप में 2007 बैच के IPS योगेंद्र सिंह रावत और टेहरी में 2013 बैच की IPS तृप्ति भट्ट को नियुक्त किया गया है। यह दोनों अपनी तरह के बिल्कुल अलग अधिकारी है।
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IPS अधिकारी योगेंद्र रावत (IPS officer Yogendra Rawat)
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देहरादून जिले के मौजूदा कप्तान योगेंद्र सिंह रावत का जन्म एक पुलिस परिवार में हुआ। रावत हालांकि चमोली के मूल निवासी हैं लेकिन पिता की सर्विस श्रीनगर में होने की वजह से इनका बचपन और शिक्षा श्रीनगर में ही हुई। योगेंद्र रावत ने श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी से वर्ष 1987 में फिजिक्स में एमएससी पूरी की और उसके बाद उन्होंने 1993 में पीएचडी भी कर डाली। इसके बाद डॉ योगेंद्र सिंह रावत लगातार लंबे समय तक श्रीनगर गढ़वाल यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। योगेंद्र रावत का सपना प्रशासनिक सेवाओं में जाने का था और वह अपनी साइंस की पढ़ाई के साथ-साथ प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी भी करते रहे जिसके बाद वर्ष 1992 में उन्होंने पीसीएस परीक्षा पास कर पुलिस सेवा में एंट्री मारी। वह हरिद्वार के मंगलौर में, नैनीताल के रामनगर में क्षेत्राधिकारी रहे इसके अलावा 31 बटालियन पीएसी रूद्रपुर के उप सेनानायक भी वो इस दौरान रहे। डॉक्टर योगेंद्र रावत की 1997 में पहली दफा पोस्टिंग उस समय के संयुक्त राज्य उत्तर प्रदेश के सबसे चुनौती भरे मेरठ जिले में बतौर DSP पद पर हुई।
प्रमोशन के बाद 2007 IPS बैच हुआ अलॉट…
योगेंद्र रावत शुरू से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे वह हमेशा अव्वल छात्रों में रहें हैं। यही वजह थी कि वह केंद्रीय सेवाओं की तैयारी भी लगातार करते रहे और वर्ष 2007 बैच में उन्होंने पीसीएस निकाल लिया। इसके बाद उन्हें एक के बाद एक बड़ी जिम्मेदारियां दी गई। जिसमें अपर पुलिस अधीक्षक उधम सिंह नगर के अलावा 2010 के कुंभ जैसे बड़े चुनोतिपूर्ण आयोजन में उन्हें पुलिस अधीक्षक कुंभ बनाया गया इसके बाद हरिद्वार में पुलिस अधीक्षक नगर, एडीसी राज्यपाल और फिर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक टिहरी की जिम्मेदारी उन्हें दी गयी इसे उन्होंने बखूबी पूरी मेहनत और लगन से निभाया है। उपलब्धियों की बात करें तो योगेंद्र रावत को 2007 में राष्ट्रपति वीरता पदक और पिछले साल 2019 में राष्ट्रपति सराहनीय सेवा पदक से डॉ योगेंद्र सिंह रावत को सम्मानित किया गया है।
देहरादून SSP रावत के छात्र आज भी उनके फॉमूलों को मिस करते हैं।
कॉलेज टाइम में योगेंद्र सिंह रावत के जूनियर रहे यशवंत नेगी ने बताते हैं कि योगेंद्र रावत शुरू से ही बेहद शांत और शार्प माइंडेड छात्र थे। नेगी बताते हैं कि उनका स्वभाव सरल और सहज था जो कि आज देहरादून जिले के एसएसपी हो या टेहरी के एसएसपी तभी भी ऐसा ही है। उनसे किसी को बात करने अपनी समस्या बताने में झिझक नही होती और वह बड़े से छोटे तक हर किसी को बहुत सौम्यता के साथ सुनते हैं। डॉटर योगेंद्र सिंह रावत के पुराने साथी बताते हैं कि शुरू से ही वो पढ़ने में बेहद तेज थे और पीएचडी करने के बाद जब वह कॉलेज में पढ़ाया करते थे तो उनके फिजिक्स में पढ़ाने का कॉन्सेप्ट पूरी यूनिवर्सिटी में सबसे अलग और बेहतरीन था। आज भले ही एक आईपीएस अधिकारी के तौर पर डॉटर योगेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड राज्य की सेवा कर रहे हैं लेकिन आज भी उनके छात्र उनके पढ़ने और पढ़ाने के अंदाज को बेहद मिस करते हैं।
IPS अधिकारी तृप्ति भट्ट (IPS officer Tripti Bhatt)
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वर्ष 2013 बैच की आईपीएस अधिकारी तृप्ति भट्ट का पैतृक गांव अल्मोड़ा में मौजूद है और तृप्ति भट्ट एक शिक्षक परिवार से आती है। मैकेनिकल इंजीनियरिंग पंतनगर यूनिवर्सिटी से पूरी करने के बाद कई बड़े सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से तृप्ति भट्ट को जॉब ऑफर मिले लेकिन उन्हें केवल एक आईपीएस ऑफिसर बनना था। यहां तक कि उन्हें बेंगलुरु मैं मौजूद इसरो संस्थान से भी साइंटिस्ट बनने का ऑफर मिला था।लेकिन आखिरकार जिंदगी की तमाम उठापटक के बाद उन्होंने एनटीपीसी में सहायक प्रबंधन की नौकरी को स्वीकार तो किया लेकिन मन अभी भी उनका आईपीएस अधिकारी कैसे बनूँ उसी में था।
तृप्ति लगातार सिविल सर्विसेज की तैयारी करती रही कड़ी मेहनत और लगन के बाद इंडियन पुलिस सर्विस में उनका सिलेक्शन हो गया और ट्रेनिंग के बाद सबसे पहली पोस्टिंग तृप्ति भट्ट की देहरादून के विकास नगर थाने में एक एसपी के पद पर हुई जहां उन्होंने खनन माफियाओं के कई सालों से जमे पैर उखाड़ दिए।
तृप्ति भट्ट पिछले लंबे समय से उत्तराखंड के चमोली जिले की एसएसपी थी और वह एसडीआरएफ में मुख्य सेनानायक के रूप में भी कार्यरत थी उनके अदम्य साहस और कार्यशैली को देखते हुए उत्तराखंड में सबसे अहम माने जाने वाले मैदान से लेकर पहाड़ो तक की भौगोलिक पृष्ठभूमि रखने वाले टिहरी जिले में बतौर एसएसपी तैनात किया गया है।