ब्रह्मा कमल उत्तराखंड के केदारनाथ, हेमकुंड साहिब और तुंगनाथ में पाया जाता है। ब्रह्मा कमल फूल साल में केवल एक बार श्रावण के हिंदू महिने की पूर्णिमा के दिन भोर के समय खिलता है।

ब्रह्मा कमल का हिन्दू धर्म में आध्यात्मिक महत्तव है। इसे ब्रह्माण के निर्माता भगवान ब्रह्मा का पंसदीदा फूल माना जाता है.

हिन्दू मान्याताओ के अनुसार ब्रह्म कमल में इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति होती है। इस फूल को पवित्रता, आध्यात्मिक और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।

ब्रह्म कमल में मन और आत्मा को शुध्द करने व नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं से बचने की शाक्ति होती है।

हिंदू पौराणिक कथओं के अनुसार भगवान ब्रह्म द्वारा भगवान गणेश के शरीर पर हाथी का सिर लगाने में भगवान शिव की मद्द करने के लिए ब्रह्म कमल का फूल बनाया गया था।

अन्य कथा के अनुसार जब संजीवनी नामक जड़ी-बूटी से लक्ष्मण फिर से जीवित हुए तो देवताओं ने खुश प्रसन्न होकर स्वर्ग से ब्रह्म कमल फूल की वर्षा की इस वजह से यह फूल पृथ्वी पर गिरे और खिलने लगे.

ब्रह्म कमल अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है, इसका इस्तेमाल सदियों से पारंपरिक आयुर्वेदिक व तिब्बती चिकित्सा में किया जाता है.

ब्रह्म कमल को हिन्दू धर्म में पवित्र माना गया है, हिन्दू परंपरा के अनिसार घर मे ब्रह्म कमल लगाने से समृध्दि और सौभाग्य आता है।