उत्तराखंड में नव गठित तीरथ सरकार के पूरे मंत्रिपरिषद यानी 8 कैबिनेट मंत्री और 3 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने शुक्रवार को राजभवन में शपथ ली है। महामहीम राज्यपाल बेबी रानी मोर्य ने सभी मंत्रियों को शपथ दिलवाई।
Tirath Cabinet Oath ceremony

शुक्रवार शाम 5 बजे देहरादून गढ़ीकेंट स्थित राजभवन में उत्तराखंड की नवगठित भाजपा की तीरथ सरकार के सभी मंत्रियों ने शपथ ली। 2017 में पूर्ण बहुमत से जीत कर आने वाली भाजपा सरकार ने आखिरकार 4 साल बाद और एक मुख्यमंत्री को बदलने के बाद मंत्रिमंडल के सभी पदों को भरा। इस से पहले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को हटाने के बाद भाजपा ने पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री के लिए चुना था जिनको बुधवार 10 मार्च को मुख्यमंत्री की शपथ दिलवाई गयी। इसके अलावा तीरथ सरकार के बाकी मंत्रियों को आज राजभवन में शपथ दिलाई गई। जिनमें 8 कैबिनेट मंत्री और 3 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार ने शपथ ली। शपथ लेने वाले मंत्रियों का क्रम कुछ प्रकार से था।
कैबिनेट के लिए शपथ लेने वाले मंत्री

- सतपाल महाराज, विधायक चौबट्टाखाल
- बंशीधर भगत, विधायक कालाढूंगी
- डॉ हरक सिंह रावत, विधायक कोटद्वार
- विशन सिंह चुफाल, विधायक द्वाराहाट
- यशपाल आर्य, विधायक बाजपुर
- अरविंद पांडे, विधायक गदरपुर
- सुबोध उनियाल, विधायक नरेन्द्रनगर
- गणेश जोशी, विधायक मसूरी
राजयमंत्री स्वतंत्र प्रभार के लिए शपथ लेने वाले मंत्री

- डॉ धन सिंह रावत, विधायक श्रीनगर
- रेखा आर्य, विधायक जागेश्वर
- यतीश्वरानंद स्वामी, विधायक हरिद्वार ग्रामीण
अरविन्द पांडे ने ली संस्कृत में शपथ

पिछली त्रिवेंद्र कैबिनेट में शिक्षा मंत्री रहे अरविंद पांडे ने जब दुबारा तीरथ कैबिनेट के लिए शपथ ली तो उनका अंदाज बिल्कुल जुदा था। दरअलस शपथ समारोह में शपथ लेने से पहले ही सभी मंत्रियों को उनकी शपथ की प्रति दे दी गयी थी और इसी दौरान देखा गया कि और मंत्रियों को दी गयी शपथ पत्र की कॉपी से अरविंद पांडे की शपथ प्रति बिल्कुल अलग थी। बाकी मंत्रियों की कॉपी सफेद पन्ने की थी और अरविंद पांडे का पन्ना पीले रंग का था। शुरू में यह भी अंदाजा लगाया गया कि कहीं अरविंद पांडे के कद में कमी करते हुए उन्हें राजयमंत्री तो नही बना दिया गया लेकिन जब वो मंच पर गए और उन्हीने शपथ ली तो उन्होंने संस्कृत में बोलना शुरू किया तो उनके इस अलग रंग के पन्ने का राज मालूम हुआ। शपथ के बाद मीडिया से बात करते हुए अरविंद पांडे ने कहा कि वह प्रदेश के शिक्षा मंत्री रहे हैं जिसके चलते उनकी नैतिक जिम्मेदारी है कि वह हमारी द्वितीय मात्र भाषा का सम्मान करें और संस्कृत हमारे शास्त्र और इतिहास से जुड़ी है हमे इसको जीवित रखना होगा।