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कांग्रेस से भाजपा में आए बागी विधायकों ने अब एकजुट होना शुरू कर दिया है। पिछले 4 सालों से कोंग्रेस से भाजपा में आये ये बागी विधायक लगातार एडजस्ट होने की कोशिश कर रहे लेकिन अब ये अपने ऊपर और प्रेशर झेलने के मूड में नहीं है।

Rebel MLAs who joined BJP are united, Harak Singh Rawat made a big statement

आगामी विधानसभा चुनाव 2022 रोमांच से भरपूर सियासी उठापटक रहने वाला है ये बात पक्की है। इस चुनावी रोमांच का एक छोटा सा टीजर हरक सिंह रावत ने आज जारी किया है। हरक सिंह रावत उत्तराखंड के वही कद्दावर नेता है जो कि उत्तर प्रदेश के समय से लेकर अब तक 9 बार मंत्री रह चुके हैं और पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की सरकार में बतौर मंत्री अपने साथ 9 विधायकों को लेकर हरक सिंह रावत ने कांग्रेस का ही तख्तापलट कर दिया था और कांग्रेस से बगावत करके हरक सिंह रावत इन 9 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे । सत्ता के लालच में भाजपा ने कांग्रेस से आए इन बागी विधायकों के लिए खूब पलक पावड़े बिछाए और इन्हें कांग्रेस के साथ दगाबाजी करने का उपहार भी दिया। कईयों को मंत्री बनाया और कई लोगों को संगठन में एडजस्ट किया लेकिन अब वह बात पुरानी हो चुकी है और कांग्रेस से भाजपा में आए इन बागियों को भाजपा के पुराने नेता पचा नहीं पाए हैं। यही वजह है कि गाय बगाये कई जगहों पर बागियों के साथ पक्षपात होता आता रहा है। लेकिन अब सरकार और सत्ता सुख भोगने के दिन खत्म होने को आ गए हैं और अब एक बार फिर से 2022 विधानसभा चुनावों में सियासी दंगल में देखने को मिलेगा । यही वजह है कि अब तक एक दूसरे को एडजस्ट कर रहे नेताओं की कलह खुलकर बाहर आने लगी है।

क्या बागियों पर है पार्टी छोड़ने का दबाव ?

ताजा मामला कांग्रेस के बागी भाजपा में आए विधायक उमेश शर्मा काऊ का है जहां उन्होंने अपने ही भाजपा कार्यकर्ताओं पर उनके पोस्टर और बैनर फाड़ने का आरोप लगाया और अपने ही मंत्री के आगे खुली बगावत करते हुए मंत्री को साफ तौर से हिदायत दे दी कि अगर आप इन कार्यकर्ताओं के साथ खड़े हैं तो हम आपके साथ खड़े नहीं होंगे। उमेश शर्मा काऊ का आरोप है कि लगातार उनके खिलाफ संगठन में सडयंत्र किया जा रहा है। रायपुर विधानसभा से विधायक उमेश शर्मा काऊ अपनी विधानसभा में एक मजबूत प्रत्याशी है। उमेश शर्मा काऊ की इस तीखीं नोक झोक से भाजपा की खूब किरकिरी हुई। यह पहली बार नही है जब उमेश शर्मा काऊ अपने ही लोगों से परेशान हुए पहले भी उनके द्वारा कई शिकायतें अलग अलग मामलों में पार्टी के तमाम फोरम पर रखी गयी। अब चुनाव है और जंहा एक तरफ टिकट कटने का खतरा तो वहीं दूसरी तरफ ये प्रेशर पॉलटिक्स का भी मौका है लिहाजा बागी विधायक राजनीतिक रणनीति का हर एक कदम सदी हुई चाल के साथ रखते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

उमेश काऊ से दिक्कत क्या है ?

यह माना जाता है कि उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं में अगर कोई विधायक किसी विधायक की सीट पक्की है तो वह रायपुर से उमेश शर्मा काऊ की सीट है और पार्टी कौन सी होगी यह भी शायद उतना मायने ना रखे। उमेश शर्मा काऊ 2017 विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में सबसे बड़े मार्जन से जीते थे। लेकिन रायपुर विधानसभा पर उमेश शर्मा काऊ की पकड़ उन्हीं की पार्टी भाजपा के लोगों को क्यों नहीं रास आ पा रही है वह वजह भी जान लीजिए। दरअसल यह उमेश शर्मा काऊ वही विधायक है जिन्होंने 2012 के विधानसभा चुनाव में रायपुर विधानसभा में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ कर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को हराया था। त्रिवेंद्र रावत उस समय रायपुर से भाजपा का टिकट लेकर आए थे लेकिन उमेश शर्मा काऊ से हार गए थे ।

विधायक उमेश शर्मा काऊ अपनी विधानसभा सीट रायपुर पर बेहद मजबूत है। हालांकि लगातार उनकी रायपुर विधानसभा पर सेंधमारी की जाती रही है लेकिन हर बार रायपुर विधानसभा में उमेश शर्मा काऊ के खिलाफ सेंधमारी करने वाले को मुंह की खानी पड़ी है। तो वहीं इस बार सुनने में आ रहा है कि उमेश शर्मा काऊ का टिकट रायपुर से काटने की कोशिश की जा रही है या फिर उन पर इतना दबाव बनाया जा रहा है कि वो पार्टी छोड़ कर चले जाएं और यहां पर भाजपा के किसी चहेते नेता जोकि संघ के भी करीबी है और वह अपनी पुरानी सीट पर सर्वे के अनुसार कमजोर पड़ रहा हैं उसे संगठन रायपुर में एडजस्ट करने की फिराक में है। बताया जा रहा है कि अंदर खाने इसकी भनक उमेश शर्मा काउ को भी है। यही वजह है कि उमेश शर्मा काऊ के जहन में पनप रही रहा विरोध हाल ही में खुलकर सामने आया और उन्होंने अपना गुस्सा सरेआम जाहिर किया।

हरक बोले हमे छेड़ा तो होगा नुकसान

बात केवल एक बागी विधायक उमेश शर्मा काऊ की नहीं है। बल्कि उमेश शर्मा काऊ के साथ लगातार हो रहे इस तरह के व्यवहार से कांग्रेस से आये सभी बागी विधायकों के कान खड़े हो गए हैं। लिहाजा नजदीक आते 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह बागी नेता जो कि अपने अपने विधानसभा क्षेत्रो में मजबूत पकड़ रखते हैं वह एकजुट होने लगे हैं। हरक सिंह रावत ने 2017 में भी इनका नेतृत्व किया था और आज भी हरक सिंह रावत इन सभी विधायकों के हितों के लिए सबसे आगे खड़े हैं। यही वजह है कि हरक सिंह रावत ने आज खुले बेबाक तरीके से उमेश शर्मा काऊ के पक्ष में उतर कर बयान दिया और कहा कि इस तरह का षड्यंत्र भाजपा के लिए ही नुकसानदेह हो सकता है।

बागी जंहा रहेंगे एक साथ रहेंगे, जल्द बनाएंगे रणनीति

कांग्रेस से भाजपा में आए इन बागी विधायकों पर आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिहाज से सबकी निगाहें टिकी है। इनके साथ मौजूद कद्दावर नेता हरक सिंह रावत राजनीतिक हथकंडे अपनाने में माहिर है। उनका अनुभव इतना ज्यादा है कि भाजपा में मौजूद जैसा कैसा नेता उनकी राजनीतिक रणनीति के सामने टिकता नहीं है। हालांकि यह भी सच है कि हरक सिंह रावत के लिए जितना मुश्किल भाजपा को छोड़ना है उससे कहीं ज्यादा मुश्किल कांग्रेस को अपनाना भी है। क्योंकि हरीश रावत हरक सिंह रावत के लिए इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती बन कर खड़े हैं। लेकिन इसके बावजूद भी हरक सिंह रावत अपने राजनीतिक खेल में माहिर है और यह भी सुनने में आया है कि जल्द ही सभी बागी विधायक आपस में एक गुप्त बैठक कर सकते हैं और आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी एक मजबूत रणनीति बना सकते हैं। इसके अलावा इस बात को बागी विधायक भी भली-भांति समझते हैं कि उनकी ताकत एकजुट रहने में जितनी ज्यादा है उतनी ही बड़ी कमजोरी उनके अलग-अलग छटक जाने से खड़ी होगी लिहाजा यह बात पक्की है कि यह बागी खेमा जहां भी रहेगा एक साथ रहेगा।