Question on doon University ragistrar appointment

14 सालों से एक ही विश्विद्यालय (doon University) में कार्यरत कुलसचिव की तैनाती पर सवाल खड़े करते हुए विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ ने इसे अनैतिक और असंवैधानिक बताते हुए उक्त व्यक्ति के ट्रांसफर की मांग की हैं।

Question on doon University ragistrar appointment

उत्तराखंड विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ द्वारा उत्तराखंड में राज्य विश्वविद्यालय केंद्रीयित सेवा नियमावली 2006 के अधीन राजकीय विश्वविद्यालयों में कार्यरत कुलसचिव, उप कुलसचिव एवं सहायक कुलसचिव के लंबे समय से एक ही विश्वविद्यालय में कार्य करने एवं राज्य स्थानांतरण अधिनियम के अनुसार कार्यवाही ना होने पर आपत्ति दर्ज की है। इस हेतु संगठन ने एक पत्र सचिव उच्च शिक्षा एवं मुख्य सचिव को प्रेषित किया है।

महासंघ के अध्यक्ष कुलदीप सिंह एवं महामंत्री डॉ लक्ष्मण सिंह रौतेला ने बताया कि उत्तराखंड राज्य विश्वविद्यालय केंद्रीयित सेवा नियमावली 2006 जो उच्च शिक्षा विभाग, उत्तराखंड शासन द्वारा अधिसूचित है एवं उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम 1973) अनुकूलन एवं उपांतरण आदेश 2001 के प्रावधानों के द्वारा जारी है। इसके तहत राजकीय विश्वविद्यालयों में कुलसचिव, उप कुलसचिव एवं सहायक कुलसचिवों की नियुक्ति की कार्रवाई की जाती है। तथा यह सेवा उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड शासन द्वारा संचालित की जाती है। राज्य में ऐसा देखा जा रहा है कि इसके अधीन कार्यरत संवर्ग के कार्मिकों को एक ही स्थान पर रहते हुए सहायक कुलसचिव, उप कुलसचिव एवं कुलसचिव के पदों पर पदोन्नति प्रदान की जा रही है जो कि नियम विरुद्ध है। पदाधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि दून विश्वविद्यालय में कार्यरत कुलसचिव पिछले 14 वर्षों से इसी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं एवं इनकी नियुक्ति सहायक कुलसचिव के रूप में 2009 में हुई उसके उपरांत वे पदोन्नति प्राप्त कर उसी विश्वविद्यालय में उप कुलसचिव बने और उसके उपरांत इन्हें कुलसचिव पद पर पदोन्नति की गई और पुनः दून विश्वविद्यालय में कार्यभार दिया गया। वे प्रारंभ से अभी तक इसी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं जो शासकीय नियमों के विपरीत है। पदाधिकारियों ने कहा कि विश्वविद्यालय में कुलसचिव एक अति महत्वपूर्ण पद है और केंद्र में इसमें प्रतिनियुक्ति पर मात्र 5 साल की सेवा का प्राविधान है वही राज्य में स्थानांतरण हेतु स्पष्ट अधिनियम लागू हैं और एक स्थान पर अधिकतम 5 वर्ष की सेवा निर्धारित है साथ ही पदोन्नत्ति होने पर स्थान परिवर्तन की व्यवस्था प्राविधानित है। इस व्यवस्था से कुलसचिव संवर्ग के कार्मिक भी अच्छादित हैं। इसके बावजूद ऐसे महत्वपूर्ण संवर्ग पर एक ही व्यक्ति को लगातार 14 साल की सेवा देना घोर आपत्तिजनक है एवं नियमों का सरासर उल्लंघन है। उन्होंने राज्य सरकार से नियमों के अनुरूप उक्त संवर्ग के स्थानांतरण को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।

शिक्षा मंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता का प्रयास जारी । doon University

इस क्रम में संगठन द्वारा सचिव उच्च शिक्षा को पत्र प्रेषित किया गया जिसकी प्रति मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन को भी की गई है। उन्होंने शासन से नियमों के अनुरूप उक्त कुलसचिव संवर्ग के स्थानांतरण को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। पदाधिकारियों ने कहा कि इस हेतु उच्च शिक्षा मंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री से भी वार्ता करने का प्रयास किया जा रहा है और संगठन के कठोर रुख को बताते हुए पदाधिकारियों ने कोई निर्णय न होने की दशा में इस हेतु न्यायालय की शरण में जाने का मंतव्य भी जाहिर किया है।

doon University

राज्य में ऐसा देखा जा रहा है कि इसके अधीन कार्यरत संवर्ग के कार्मिकों को एक ही स्थान पर रहते हुए सहायक कुलसचिव, उप कुलसचिव एवं कुलसचिव के पदों पर पदोन्नति प्रदान की जा रही है जो कि नियम विरुद्ध है। पदाधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि दून विश्वविद्यालय में कार्यरत कुलसचिव पिछले 14 वर्षों से इसी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं एवं इनकी नियुक्ति सहायक कुलसचिव के रूप में 2009 में हुई उसके उपरांत वे पदोन्नति प्राप्त कर उसी विश्वविद्यालय में उप कुलसचिव बने और उसके उपरांत इन्हें कुलसचिव पद पर पदोन्नति की गई और पुनः दून विश्वविद्यालय में कार्यभार दिया गया। वे प्रारंभ से अभी तक इसी विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं जो शासकीय नियमों के विपरीत है। पदाधिकारियों ने कहा कि विश्वविद्यालय में कुलसचिव एक अति महत्वपूर्ण पद है और केंद्र में इसमें प्रतिनियुक्ति पर मात्र 5 साल की सेवा का प्राविधान है वही राज्य में स्थानांतरण हेतु स्पष्ट अधिनियम लागू हैं और एक स्थान पर अधिकतम 5 वर्ष की सेवा निर्धारित है साथ ही पदोन्नत्ति होने पर स्थान परिवर्तन की व्यवस्था प्राविधानित है। इस व्यवस्था से कुलसचिव संवर्ग के कार्मिक भी अच्छादित हैं। इसके बावजूद ऐसे महत्वपूर्ण संवर्ग पर एक ही व्यक्ति को लगातार 14 साल की सेवा देना घोर आपत्तिजनक है एवं नियमों का सरासर उल्लंघन है। उन्होंने राज्य सरकार से नियमों के अनुरूप उक्त संवर्ग के स्थानांतरण को सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।