Exclusive Story:-
चमोली में आई भीषण आपदा को 2 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी भी तकरीबन ढाई किलो मीटर लंबी सुरंग के अंदर फंसे तकरीबन 35 लोगों का रेस्क्यू चल रहा है। इस रेस्क्यू के दौरान सुरंग में मलबे के पीछे फंसे लोगों को बाहर निकालने का प्रयास लगातार राज्य और केंद्र सरकार की अलग-अलग एजेंसियां कर रही है जिसमें एनडीआरएफ द्वारा कुछ विशेष प्रकार की तकनीक के इस्तेमाल की जा रही हैं।
????#Uttarakhand #GlacierBurst Update
— ѕαtчα prαdhαnसत्य नारायण प्रधान ସତ୍ୟ ପ୍ରଧାନ (@satyaprad1) February 9, 2021
????@NDRFHQ @ Work 24×7
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????Cutting thru tough debris/cable
????Never Give Up ????????
????#DutyWillContinue✊
????#CloseCoordWithAgencies✊#Committed2Help ????????@PMOIndia @HMOIndia @BhallaAjay26 @PIBHomeAffairs @PIBDehradun pic.twitter.com/JrKesEQnbj
NDRF से मिली जानकारी के अनुसार एनडीआरएफ ने कई एजेंसियों को अलग-अलग तकनीक क्यों के माध्यम से ड्रोन और हॉलिकॉप्टर के जरिए ब्लॉक टनल का जियो सर्जिकल स्कैनिंग कराई जा रही है। जिसमें रिमोट सेंसिंग के जरिए टनल की ज्योग्राफिकल मैपिंग कराई जाएगी और टनल के अंदर मलवे की स्थिति के अलावा और भी कई तरह की जानकारियां स्पष्ट हो पाएंगे। इसके अलावा थर्मल स्कैनिंग या फिर लेजर स्कैनिंग के जरिए तपोवन में ब्लॉक टनल के अंदर फंसे कर्मचारियों के जिंदा होने की कुछ जानकारियां भी एनडीआरएफ को मिल पाएगी। एनडीआरएफ के बड़े अधिकारी के अनुसार लगातार कई तकनीकों के जरिए चमोली तपोवन में ब्लॉक टनल के अंदर पहुंचने का काम किया जा रहा है तो वही डाटा कलेक्शन के लिए ड्रोन और हॉलिकॉप्टर के माध्यम से कई एजेंसियों को अलग-अलग तकनीकों के माध्यम से अंदर की जानकारियां कलेक्ट करने की जिम्मेदारी दी गई है जिसके बारे में जल्दी एनडीआरएफ खुलासा करेगी।
![चमोली आपदा : NDRF ड्रोन से करवा रही है ब्लॉक टनल का जियोग्राफिकल मैपिंग, लेजर स्कैन से मिलेगी टनल में जिंदा लोगों की जानकारी। 2 screenshot 20210209 110718 twitter5155825076516162362](https://khabarwithcover.com/wp-content/uploads/2021/02/screenshot_20210209-110718_twitter5155825076516162362-663x1024.jpg)
कैसे होती है टनल की जियोग्राफिकल मैपिंग–
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जब भी किसी जगह पर टनल बनाई जाती है तो उससे पहले भी उस जमीन की भौगोलिक संरचना को समझने के लिए इसी तरह के सर्वे कराए जाते हैं। उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग में मौजूद एक वरिष्ठ इंजीनियर ने बताया कि जब भी किस जगह पर टनल बनाई जाती है तो रिमोट सेंसिंग के जरिए वहां की ज्योग्राफिकल मैपिंग की जाती है जिससे जमीन के अंदर की भौगोलिक संरचना से संबंधित डाटा उपलब्ध होता है साथ ही उन्होंने बताया कि जमीन के अंदर की वस्तुस्थिति को अधिक सटीकता से समझने के लिए ड्रोन से जिओ मैपिंग के जरिए अधिक जानकारियां मिलती है इसके अलावा जमीन के अंदर मौजूद किसी जीवित की जानकारी के लिए थर्मल स्कैनिंग की जाती है लेकिन थर्मल स्कैनिंग का दायरा बेहद कम होता है इसके लिए लेजर के जरिए स्कैनिंग की जाती है जिसे से जमीन के नीचे की थर्मल इमेज हमे मिल पाती है।
![चमोली आपदा : NDRF ड्रोन से करवा रही है ब्लॉक टनल का जियोग्राफिकल मैपिंग, लेजर स्कैन से मिलेगी टनल में जिंदा लोगों की जानकारी। 5 thermalscantunnel1506856063019513635.](https://khabarwithcover.com/wp-content/uploads/2021/02/thermalscantunnel1506856063019513635..jpg)