Ms. Sukla Mistry's statement on carbon tax at IIP SEFCO 2022 in DehradunMs. Sukla Mistry's statement on carbon tax at IIP SEFCO 2022 in Dehradun

(carbon tax) देहरादून के IIP में शुक्रवार को शुरू हुए SEFCO(2022) के ओपनिंग सेशन में HMEL के प्रबंध निदेशक प्राभ दास (Prabh Das, Managing Director and CEO, HMEL) और आईओसी बोर्ड की पहली महिला निदेशक श्रीमति शुक्ला मिस्त्री (first woman director on IOC board Ms. Sukla Mistry’s) मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे जिन्होंने देश में फ्यूचर सतत ऊर्जा और कार्बन टेक्स carbon tax को लेकर अपने विचार रखे।

Ms. Sukla Mistry’s statement on carbon tax at IIP SEFCO 2022  in Dehradun

देहरादून इंडियन पैट्रोलियम इंस्टीट्यूट में SEFCO(2022) यानी शेपिंग द एनर्जी फ्यूचर चैलेंजिस एंड ऑपच्यरुनिटीज 2022 के 2 दिवसीय की शुरवात शुक्रवार को हुई। यह कार्यक्रम आने वाले बदलाव के दौर को मध्यनजर रखते हुए उस दौरे के लिए तैयार हो रहे युवा वैज्ञानिकों के मध्यम से ही आयोजित करवाया जाता है और वर्ष 2017 से लगातार हर वर्ष हो रहा इस संगोष्ठी का यह छटा एडिशन है।

IIP SEFCO 2022
IIP SEFCO 2022

कार्यक्रम को लेकर जानकारी देते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के निदेशक डॉ अंजन रे ने बताया की इस कार्यक्रम का जो मूल मकसद है कि ईंधन के भविष्य को केसे मोड़े और उसमें हमें क्या चुनौतियां मिलने वाली है और उसमे हमारे लिए कितने अवसर हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दौर में चाहे बात ग्लोबल वार्मिंग की हो या फिर नई पीढ़ी में आने वाले फ्यूचर फ्यूल क्राइसिस की हो इस सब का सामना युवा पीढ़ी ने करना है और इन्हीं सब चुनौतियों से कैसे निपटा जाए इसके लिए युवा वैज्ञानिकों का यह एक बेहद महत्वपूर्ण फ्यूचरिस्टिक कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का पूरा जिम्मा युवा वैज्ञानिकों के ऊपर होता है और वही लोग इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करते हैं जिसका उभरता हुआ दृष्टिकोण भी स्पष्ट नजर आ रहा है जिस में दिखता है कि हर साल कैसे युवा वैज्ञानिकों की सोच वृहद स्तर पर विकसित हो रही है। उन्होंने कहा कि इसमें खासतौर से सस्टेनेबल एनर्जी, एनर्जी रिफॉर्म और एनर्जी री साइकिल पर चर्चा की जाती है।

देश में ईंधन इम्पोर्ट नेट जीरो करने के लिए ऊर्जा के अन्य विकल्प तलाशने जरूरी।

CSIR IIP Dehradun
CSIR IIP Dehradun

कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए आईआईपी निदेशक डॉ रंजन रे ने बताया कि SEFCO(2022) कार्यक्रम की के ओपनिंग मैं दो वक्ता चीफ गेस्ट के रूप में मौजूद रहे और इन दोनों ने अपने अपने अनुभव और शोध के अनुसार अपने विचारों को रखते हुए कई महत्वपूर्ण तथ्य युवा वैज्ञानिकों के सामने रखें। कार्यक्रम में पहले मुख्य वक्ता HMEL के प्रबंध निदेशक प्राभ दास ने युवा वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को सर्च करने के लिए इसे केवल कहना नहीं बल्कि इसे कारगर साबित करना होगा जिसके लिए हमें इनल आयात को नेटजीरो करने के लिए भले ही हम कितना ही रीसाइक्लिंग कर ले लेकिन ईंधन के इम्पोर्ट के लिए हमें ऊर्जा के सतत विकल्पों को तलाशना होगा जिसमें समय लगेगा और तब तक हमें फॉसिल फ्यूल के संरक्षण की बेहद अधिक आवश्यकता है।

कार्बन टैक्स, कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने के लिए साबित हो सकता है कारगर कदम।

Ms. Sukla Mistry MD Ioc
Ms. Sukla Mistry MD Ioc

वही इसके अलावा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन बोर्ड की पहली महिला प्रबंध निदेशक श्रीमति शुक्ला मिस्त्री (first woman director on IOC board Ms. Sukla Mistry’s) ने संगोष्ठी की ओपनिंग सेशन मैं अपने विचार रखते हुए बताया कि इंडियन ऑयल सस्टेनेबल एनर्जी के लिए अपने क्या क्या प्रयास कर रही है तो वहीं इसके अलावा उन्होंने कार्बन उत्सर्जन को देश में कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण बयान दिया की प्रदेश में सस्टेनेबल एनर्जी तभी कारगर साबित होगी जब कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगेगा जिसके लिए कार्बन टैक्स (carbon tax) एक अहम कदम हो सकता है। उन्होंने अपने सस्टेनेबल एनर्जी को किए को लेकर किए जा रहे तमाम प्रयासों के बारे में जानकारी दी जिसमें पानीपत रिफाइनरी में एथेनॉल बनाने की प्रक्रिया और हाइड्रोजन बनाने की प्रक्रिया और CNG इत्यादि शामिल है।

Dr Anjan ray, Director IIP
Dr Anjan ray, Director IIP

वही इसके अलावा देहरादून इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के निदेशक अंजन रे (Dr Anjan ray, Director IIP) ने बताया कि इस पूरे कार्यक्रम में महत्वपूर्ण यह है कि जहां पर यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है यानी कि देहरादून इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के मात्र दो ही मुख्य उद्देश्य हैं जिसमें पहला है देश को ईंधन आयात कम करवा के आत्मनिर्भर बनाना और दूसरा मकसद है ईंधन से कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम करना और इन्हीं मकसद के साथ लगातार इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पैट्रोलियम लगातार शोधरत है।

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