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इतिहास में जो अब तक नही हुआ वो करने की बात कर के उत्तराखंड में अपनी राजनीतिक लांचिग की सोच रहे आप नेता मनीष सिसोदिया का यह दाव अब घुमकर उन पर ही उल्टा पड़ता दिख रहा है। दरअसल मनीष सिसोदिया की खुली बहस की चुनोती को भाजपा नेता मदन कौशिक ने स्वीकार तो किया लेकिन वो इस बहस को दिल्ली में करना चाहते हैं। अब सवाल यह कि बहस की इच्छा मनीष सिसोदिया की थी तो क्या अब वो दिल्ली में बहस करने को तैयार होंगे।

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आम आदमी पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में उत्तराखंड में अपना दमखम दिखाने जा रही है, जिसकी तैयारी में AAP अभी से जुट गई है। इसी को लेकर कुछ दिनों पहले दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कुमाऊं और गढ़वाल के दौरे किए। इस दौरान उत्तराखंड के पहले राजनीतिक दौरे में मनीष सिसोदिया ने उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के लिए संभावनाएं तलाशने का काम किया, साथ ही उन्होंने आते ही मौजूदा उत्तराखंड की भाजपा सरकार पर जमकर घेराबंदी भी शुरू कर दी। 2022 का सपना पाले आम आदमी पार्टी द्वारा उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला गया। यही नही अपने पहले दौरे में ही आप नेता मनीष सिसोदिया ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को खुली चुनौती दे डाली कि वह अब तक के कार्यकाल में उनकी सरकार द्वारा राज्य हित में किए गए केवल 5 काम या योजनाएं गिनवा दें। उन्होंने उत्तराखंड की भाजपा सरकार को खुली चुनौती दे डाली और कुमाऊं दौरे के बाद जब वह गढ़वाल दौरे पर देहरादून आए तो उन्होंने इस चुनौती को दोबारा देहरादून में मीडिया से बातचीत में दोहराया। इतना ही नहीं बेहद मुखर तरीके से काम कर रहा आम आदमी पार्टी का आईटी सेल भी लगातार शोसल मीडिया पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ललकारता रहा।

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आम आदमी पार्टी के इस लगातार उकसाने के बाद उत्तराखंड सरकार में नंबर-2 माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने आखिरकार आम आदमी पार्टी के इस खेल में शामिल होने का मन बनाया और उन्होंने मंगलवार को मीडिया के सामने मनीष सिसोदिया की चुनौती स्वीकार करते हुए एक कदम और आगे बढ़ कर चुनोति स्वीकार की और कहा कि वह मनीष सिसोदिया को पांच काम नहीं बल्कि सरकार की 100 योजनाओं के बारे में जानकारी देंगे। मदन कौशिक ने कहा कि वह उत्तराखंड मॉडल को केवल मनीष सिसोदिया को ही नहीं बल्कि पूरे दिल्ली में दिखाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया जगह भी बता दें और समय भी वह खुली बहस के लिए तैयार हैं।

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आम आदमी पार्टी ने उम्मीद तो नहीं थी कि उनकी इस खुली बहस की चुनौती को कोई स्वीकार करेगा लेकिन भाजपा नेता मदन कौशिक द्वारा इस तरह से एक कदम और आगे बढ़ कर चुनौती को स्वीकार करते देख आम आदमी पार्टी ने भी रणनीति तैयार की और बुद्धवार को मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर मदन कौशिक को बहस के लिए तारीख दे डाली। मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर के कहा कि वह जनवरी में 2, 3 और 4 तारीख को देहरादून आ रहे हैं और इस दौरान वह भाजपा नेता मदन कौशिक से जो कि उत्तराखंड सरकार में शासकीय प्रवक्ता भी हैं उनसे खुली बहस करेंगे। इस चुनौती को अगले चरण तक जाते देख प्रदेश के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई और कुछ देर के लिए लगा – कहीं सच में तो पहली बार राजनीतिक इतिहास में दो प्रतिद्वंदी नेता एक मंच पर विकास के मुद्दों पर बहस करेंगे..! लेकिन यह उत्सुकता ज्यादा देर तक नही टिकी और बहस देखने की उम्मीद धरी की धरी रह गई।

दरअसल सिसोदिया की इस चुनौती के पीछे आम आदमी पार्टी केवल उत्तराखंड में राजनीतिक माहौल गरमाना चाहती है जो कि उनके लिए माइलेज का काम करेगा। देहरादून में अगर इस तरह की बहस होती है तो जो व्यक्ति आम आदमी पार्टी में नही भी इंट्रेस्टेड है वो भी इस बहस में रुचि लेगा, क्योंकि बात सरकार की हो रही होगी। जिस व्यक्ति तक ‘आप’ नही पहुंच पाई है मनीष सिसोदिया की इस बहस से वो वंहा तक भी पहुंच जाएगी, ऊपर से एंटी इंकम्बेंसी अलग। इस बात को समझने में उत्तराखंड भाजपा के वरिष्ठ नेता मदन कौशिक को बिल्कुल भी समय नहीं लगा और उन्होंने मनीष सिसोदिया के इस खेल को पलटते हुए कहा कि वह मनीष सिसोदिया से बहस उत्तराखंड में नहीं बल्कि दिल्ली में करेंगे। मदन कौशिक जानते हैं कि आम आदमी पार्टी को उत्तराखंड में इस वक्त सुर्ख़ियों की जरूरत है और वह उत्तराखंड में मनीष सिसोदिया से चर्चा करके आम आदमी पार्टी को इसका माइलेज नहीं लेने देंगे। इसके उलट दिल्ली में बहस करना ज्यादा आसान है क्योंकि कमी हर सरकारों में होती है ऊपर से यह उत्तराखंड के लोगों के लिए भी गौरव का विषय रहेगा कि दिल्ली में उत्तराखंड की बात की जा रही है।

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ना नौ मण तेल होगा ना राधा नाचेगी- प्रीतम सिंह

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खुली बहस को लेकर मनीष सिसोदिया और मदन कौशिक के बीच चल रहे इस गेंद-गेंद के खेल पर कांग्रेस अध्यक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह केवल सियासी नूराकुश्ती है बस और कुछ नही। प्रीतम सिंह ने कहा कि- “ना तो कभी नौ मण तेल होगा और ना ही राधा नाचेगी”। कांग्रेस का कहना है कि यह कुछ नही बस जनता को बेवकूफ बनाने में लगे हैं। आम आदमी पार्टी यंहा अपने आप को खड़ा करने की नाकाम कोशिश में लगी जिसके लिए उसे कुछ तो करना ही है और बीजेपी बहस करने की स्थिति में है नही तो वो कभी बहस करेगी नही।

कुल मिलाकर देखा जाय तो खुली बहस के नाम पर चल रही तकरार में कुछ निकल कर सामने आएगा इसकी उम्मीद हास्यास्पद ही है। यह सभी जानते हैं कि राजनीतिक क्षेत्र में इस तरह की खुली बहस करना तो दूर, संवैधानिक विधानसभा ओर लोकसभा के सदनो के अंदर होने वाली पक्ष विपक्ष कि बहस का भी कोई सार्थक निष्कर्ष नहीं निकल पाता है। तो इस तरह से खुली चुनौतियों पर क्या दो धुर विरोधी नेता आमने सामने आएंगे यह सोचने में ही असंभव लगता है। हां लेकिन यह आपकी रोचकता का विषय जरूर है और इस बात से सियासी गलियारों में भी खूब चर्चाएं है लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो ऐसा कुछ नहीं होने वाला है और अगर ऐसा हुआ तो यह एक ऐतिहासिक घटना होगी।