Pod car in india

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड में मेट्रो का सपना सबसे पहले हरिद्वार में पूरा होने जा रहा है। हरिद्वार में मेट्रो प्रोजेक्ट पॉड कार (pod car) के रूप में हरिद्वार दर्शन योजना के रूप में धरातल पर उतने जा रहा है जिसे बोर्ड ने हरी झंडी दे दी है।

Haridwar darshan by pod car

1685 करोड़ की लागत से उत्तराखंड में मेट्रो प्रोजेक्ट का पहला फेस हरिद्वार में शुरू होने जा रहा है। यानी कि उत्तराखंड में हरिद्वार के लोग सबसे पहले मेट्रो सिस्टम का लुफ्त उठाएंगे। उत्तराखंड मेट्रो बोर्ड से मिली मंजूरी के बाद जल्द ही हरिद्वार में हरिद्वार दर्शन योजना के नाम से धरातल पर उतरने जा रही एस पीआरटी सिस्टम पर आगामी कुछ महीनों में काम शुरू हो जाएगा।

क्या हैं “हरिद्वार दर्शन” योजना

दरअसल मेट्रो प्रोजेक्ट के रूप में हरिद्वार में सबसे पहले पार्टी सिस्टम को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। उत्तराखंड मेट्रो बोर्ड के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने बताया कि इस योजना को हरिद्वार दर्शन योजना के रूप में धरातल पर उतारा जा रहा है और इस पीआरटी सिस्टम के तहत हरिद्वार के सभी पौराणिक मंदिरों और देव स्थलों को एलिवेटेड स्टील ट्रैक के माध्यम से जोड़ा जाएगा जिस पर पीआरटी सिस्टम यानी पॉड कार संचालित की जाएंगी। मेट्रो कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार हरिद्वार में तकरीबन 20 किलोमीटर लंबा यह ट्रांजिट सिस्टम ज्वालापुर से लेकर शांतिकुंज में मौजूद भारत माता मंदिर तक संचालित किया जाएगा इसमें हर की पैड़ी दक्ष मंदिर सहित हरिद्वार के सभी पौराणिक स्थलों को एक्सप्रेस दिया गया है। मेट्रो बोर्ड के एमडी जितेंद्र त्यागी के अनुसार इस प्रोजेक्ट पर जल्द ही काम शुरू होने जा रहा है और इसकी जो टारगेट अवधि है उसे आगामी 3 साल रखा गया है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इससे पहले बनकर तैयार हो जाएगा।

क्या होती है पॉड कार, केसे होती है संचालित

Pod car in india
प्रतिकात्मक फोटो – पॉड कार

मेट्रो बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार पर्सनल रैपिड ट्रांसिट यानी पीआरटी सिस्टम एक एलिवेटेड स्टील पाथ पर चलने वाली टैक्सी नुमा ऑटोमेटेड कारें है जिसे विदेशों में आम बोलचाल में पॉड कार भी कहा जाता है। अधिकारियों के अनुसार हरिद्वार में बनाए जाने वाले इस ट्रांजिट सिस्टम में तकरीबन 6 लोगों की क्षमता वाली पॉड कारें इस सिस्टम में शामिल की जाएंगी जिनकी संख्या राइडरशिप एसेसमेंट के अनुसार बढ़ाई या घटाई जा सकती है। शुरुआत में 20 कारें इस सिस्टम में शामिल की जाएंगी। यह कारें एक तरह से ऑटो ऑपरेट सॉफ्टवेयर के तहत काम करती है जैसे कि किसी बहुमंजिला इमारत में लगी कई सारी अलग-अलग लिफ्ट। यह पॉड कार खुद ही दूसरी कार को ट्रेक करती है और खुद ही दूरी मेंटेन रखी है तो वही कार के अंदर पैसेंजर के अनुकूल सिस्टम बनाया गया है ताकि आसानी से यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच पाए।

लंबा हो चला ही मेट्रो में बैठने का इंतजार

उत्तराखंड में मेट्रो प्रोजेक्ट का इंतजार पिछले 5 सालों से हो रहा है। मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत पहले फिल्में हरिद्वार ऋषिकेश और देहरादून में लगातार बढ़ रही ट्रैफिक की समस्या को एड्रेस करते हुए यहां पर उचित ट्रांजिट सिस्टम लगाने पर चर्चा हुई जिसके बाद देहरादून में लाइट मेट्रो सिस्टम और ऋषिकेश से देहरादून मेट्रो सिस्टम और हरिद्वार में पीआरटी पर सहमति बनी लेकिन लंबे इंतजार के बाद केंद्र और राज्य मैं हिचकोले खाते हुए यह योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर पाई लेकिन आप धीरे धीरे मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले फीस में हरिद्वार आने वाले पर्यटकों और यहां के स्थानीय लोगों को शायद पीआरटी सिस्टम के माध्यम से ट्रैफिक से कुछ निजात मिल पाएगी। पहले फिर में हरिद्वार दर्शन के रूप में इस योजना को धरातल पर उतारा जा रहा है जिसका मकसद हरिद्वार जैसे पौराणिक शहर आने वाले लोगों को सुविधा मुहैया कराना और लगातार जाम में फंसता जा रहे शहर हरिद्वार को राहत देना है।

मेट्रो बोर्ड बना रहा है ये रोपवे

उत्तराखंड मेट्रो बोर्ड उत्तराखंड में केवल मेट्रो प्रोजेक्ट पर ही काम नहीं कर रहा है बल्कि उत्तराखंड मेट्रो बोर्ड प्रदेश में कई रूप में प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है। बोर्ड के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने बताया कि मेट्रो बोर्ड इस वक्त प्रदेश के दो महत्वपूर्ण रूप में प्रोजेक्ट पर कार्यदाई संस्था के रूप में काम कर रहा है जिसमें से एक 350 सौ करोड़ का ऋषिकेश से नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट है तो वहीं दूसरा रूप में प्रोजेक्ट 150 करोड़ का हर की पैड़ी से चंडी देवी तक का है जो कि कैबिनेट में भी अप्रूव हो चुका है और इसमें भूमि संबंधी निस्तारण का कार्य चल रहा है।