हर साल की तरह इस बार भी देवभुमी उत्तराखंड के जंगल धूं धूं कर जल रहें हैं और इन जलते जंगलों की तस्वीरें सोशल मीडिया से लेकर नेशनल मीडिया तक सुर्खियां बटोर रही हैं। ये तस्वीरें भयावय है, दहशत पैदा करने वाली है और उत्तराखंड के जंगलों में फैली यह आग केवल एक इलाके की नही बल्कि अगल अलग इलाकों की है।
Forest fires uttarakhand till April 2021
71 फिसफी वन भूभाग वाले राज्य उत्तराखंड में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इस साल यानी 2021 में अब तक आग की 983 घटनाएं हुई हैं। जिससे 1292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावति हुआ है। वर्तमान में 40 एक्टिव फायर चल रही है। नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी गढ़वाल और पौड़ी गढ़वाल वनाग्नि से अधिक प्रभावित है। वनाग्नि को रोकने के लिए 12 हजार वन कर्मी लगे हैं। 1300 फायर क्रू स्टेशन बनाए गए हैं। उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग को सरकार ने गंभीरता से लेते हुए वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि प्रबंधन की समीक्षा एक आपात बैठक आहूत कर जरूरी निर्देश दिए।
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केंद्र के दिये हेलीकॉप्टर से बुझाई जाएगी आग।
प्रदेश में वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दो हेलीकाप्टर उपलब्घ कराए गए हैं। इस संबंध में उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर वार्ता हुई है। केंद्रीय गृह मंत्री ने हर सम्भव सहायता के प्रति आश्वस्त किया है। आवश्यकता होने पर एनडीआरएफ की टीमें भी भेजी जाएंगी। एक हेलीकाप्टर गौचर में स्टेशन करेगा जो कि श्रीनगर से पानी लेगा। दूसरा हेलीकाप्टर हल्द्वानी में स्टेशन करेगा और भीमताल झील से पानी लेगा। राज्य के अघिकारी केंद्र सरकार के अधिकारियों के लगातार सम्पर्क में हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर वन विभाग के सभी अधिकारियों के अवकाश पर रोक लगा दी गई है। सभी अधिकारियेां और कर्मचारियों को अपने कार्यक्षेत्र में बने रहने को कहा गया है। प्रदेश भर में तैनात किए गए फायर वाॅचर को 24 घंटे निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा शासन, पुलिस व वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और सभी जिलाधिकारियों के साथ वनाग्नि की वर्तमान स्थिति और इससे निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं की सूचना कंट्रोल रूम को अविलम्ब मिलनी चाहिए और रेस्पोंस टाईम में कमी लाई जाए। वन पंचायतों सहित स्थानीय लोगों का सहयोग लिया जाए परंतु इस बात का ध्यान रखा जाए कि बच्चे और बुजुर्ग आग बुझाने के लिए न जाएं।
लोगों को जागरूक किया जाए। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए। गांवों और रिहायशी इलाकों के आसपास झाडियां साफ की जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि से क्षति होने पर प्रभावितो को मानकों के अनुरूप मुआवजा जल्द से जल्द मिल जाना चाहिए। फील्ड स्तर पर गाड़ियों व उपकरणों की कमी नहीं होनी चाहिए। जहां जरूरी हो, वहां तत्काल बिना समय गंवाए इनकी व्यवस्था कर ली जाएं। कंट्रोल रूम की संख्या बढ़ाई जाए।
कोंग्रेस ने सरकार के सर फोड़ा ठीकरा।
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के लिए कांग्रेस ने प्रदेश की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। कोंग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाया है कि सरकार ने जंगल की आग से निपटने के लिए समय पर कोई नीति नहीं बनाई।
धस्माना ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य का आपदा प्रबंधन तंत्र लकवा ग्रस्त हो रक्खा है और वन विभाग तो कुम्भकर्णीय नींद सो रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्य में आपदा प्रबंधन की दुर्दशा का अंदाज़ा तो हाल हो में रिणी जोशीमठ में ऋषि गंगा व धौली गंगा में आई आपदा से ही लगाया जा सकता है जहां दो महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अभी तक सुरंग में दबे सैकड़ों लोगों के शवों को नही निकाला जा सका है।