Cancer Surgery in SGRR indresh hospital Dehradun 1 1

1932 में जन्मी गणेशी देवी आज 91 वर्ष की बुजुर्ग महिला है। पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लाक कुलासु से आने वाली गणेशी देवी पिछले तीस सालों से अपने ट्यूमर के साथ जी रही थी जो कि अब डेढ़ किलो का हो गया था और इस से खून रिसने लगा था। अपनी मजबूरियों के चलते गणेशी देवी आज तक इसका इलाज नहीं करवा पाई लेकिन अब इमरजेंसी में उन्हें देहरादून इंद्रेश अस्पताल लाया गया जहां कैंसर सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ पंकज कुमार गर्ग के सुपरविजन में उनकी सफलतम सर्जरी की गई। इस ट्यूमर सर्जरी अपने आप में एक रेयर केस है तो वहीं सफलतम सर्जरी के बाद क्या है मरीज का अनुभव जाने।

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पोड़ी की 91 वर्षीय गणेश देवी का इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि यह ट्युमर एक पैरोटिड ग्रंथि में इतने बड़े आकार का यह अति दुर्लभ मामला है। डॉक्टरों का कहना है कि पैरोटिड ग्रंथि में आमतौर पर 50 ग्राम से 100 ग्राम तक के ट्यूमर ही देखने को मिलात है लिहाजा यह कैस बेहद पैचीदा था। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कैंसर सर्जरी विभाग ने 91 वर्षीय गणेशी देवी के गले से 1600 ग्राम का कैंसर ट्यूमर निकाल कर कैंसरी सर्जरी में एक नई मिसाल पेश की है। 91 साल की इस बुजुर्ग महिला के पैरोटिड ग्रंथि में यह ट्यूमर पिछले 30 सालों से था जो कि अब सामान्य से भी बड़ा हो चला था और अब हालात बद से बत्तर हो चले थे और ट्यूमर से खून भी रिसने लगा था। डॉक्टरों का कहना है कि 91 वर्ष की उम्र में इंसान के इस तरह के ऑपरेशन के दौरान सर्जन के सामने कई चैलेंजस रहते हैं लेकिन खुशी की बात यह है कि सर्जरी के बाद गणेशी देवी बिल्कुल ठीक है।

Mahant Indresh Hospital dehradun

मेडिकल साइंस में इस तरह के ट्यूमर को पैरोटिड ट्यूमर कहते हैं और 90 साल की महिला के डेढ़ किलों के ट्यूमर का सफलतम ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पंकज कुमार गर्ग ने बताया कि सामान्यत पैरोटिड ट्यूमर मात्र 50 से 100 ग्राम तक ही देखने को मिलते हैं लेकिन यह केस अपने आप में उनके सामने एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि उन्होने अपने पिछले 25 सालों के अनुभव में इस तरह का कोई भी केस नहीं देखा था। डॉक्टर इस केस के सफलतम सर्जरी में एक बड़ी उपलब्धि 91 वर्ष की गणेशी देवी की हिम्मत की भी मानते हैं। डॉक्टर का कहना है कि 91 वर्षीय गणेशी देवी 1932 की जन्मी है और उन्होंने देश में अंग्रेजो का दौर देखा था और जब उन से ऑपरेशन से पहले पूछा गया तो उन्होने कहा कि जब वह अंग्रेजों से नही डरे तो इस ट्यूमर और इसके ऑपरेशन से क्या डरना। डॉक्टरों का कहना है कि जिस कैंसर का नाम सुनते ही लोग जीने की उम्मीद छोड़ देते हैं 91 वर्षीय गणेशी देवी का जज्बा उनके लिए एक बड़ी प्रेरणा है। तो वहीं गणेशी देवी के कैंसर की सफलतम सर्जरी के बाद गणेशी देवी का परिवार उनका बेटा बेहद खुश है साथ ही परिवार का कैंसर के सभी मरोजो को संदेश है कि कैंसर से डरें नहीं और ना भागें, कैंसर का डट कर सामना करें जीत आपकी होगी।

Dr. Pankaj Garg, indresh hospital dehradun

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