Balloon dilation of the Eustachian tube in

 

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मैक्स अस्पताल, देहरादून के डॉक्टरों ने 13 वर्षीय लड़के में एक लेटेस्ट टेक्नॉलोजी के जरिए बिना किसी सर्जरी के निष्क्रिय हो चुके कान को वापिस सही किया। एसा उत्तराखंड में पहली दफा किया गया है और मैक्स होस्पिटल देहरादून ने पहली दफा इस तकनीक का उपयोग किया है। जाने कैसे डाक्टरों की एक पूरी टीम ने एसा संभव किया और कौन वो साहसी 13 वर्ष के किशोर थे।

Balloon dilation of the Eustachian tube in Max dehradun

आपको बता दें कि देहरादून मैक्स अस्पताल, max super speciality hospital dehradun उत्तराखंड का पहला अस्पताल है उत्तराखंड और राजधानी देहरादून में लगातार अपनी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और वर्ल्ड क्लास सर्विस के जरिए  देहरादून शहर को एक उच्च स्तरीय मेडिकल फैसिलिटी वाले शहर में शुमार कर रहा है। हर बार देहरादून मैक्स हॉस्पिटल मेडिकल के क्षेत्र में अपने नये और सफल प्रयोगों के जरिए नये मुकाम हासिल कर रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार को देहरादून मैक्स हॉस्पिटल ने सुनने की क्षमता खो चुके 13 वर्षीय इविन के कान को यूस्टेशियन ट्यूब बैलून डिलेशन विधि  का इस्तेमाल करते हुए वापिस खोला और सुनने की क्षमता को वापिस सामान्य किया है।

Balloon dilation of the Eustachian tube in Max dehradun
Balloon dilation of the Eustachian tube in Max dehradun

दरअसल इन दिनों यूस्टेशियन ट्यूब डिसफंक्शन के इलाज की यह लेटेस्ट तकनीक यूरोपीय देशों में लोकप्रियता हासिल कर रही है। यह यूस्टेशियन ट्यूब मध्य कान से नासॉफिरिन्जियल क्षेत्र तक होती है और मध्य कान में एयर प्रेशर बनाए रखने में मदद करती है। इसी के चलते 13 वर्षीय इविन को दाहिने कान में दर्द और सुनने में परेशानी  की शिकायत के साथ मैक्स अस्पताल, देहरादून में पिछले महीने लाया गया। क्लीनिकल जांच के बाद पता चला कि दाहिने मध्य कान की ट्यूब में तरल पदार्थ मिला, जिससे यूस्टाचैन ट्यूब में रुकावट आ रही थी और सुनने में परेशानी हो रही थी।

Max hospital dehradun
Max hospital dehradun

इस लड़के को कुछ साल पहले भी यही समस्या हुई थी और इसके इलाज  के लिए एक ग्रोमेट का इस्तेमाल किया गया था जो कि इस समस्या का  एक अस्थायी समाधान है। डॉ अनुपल डेका, सीनियर कंसल्टेंट-ईएनटी विभाग, मैक्स हॉस्पिटल, देहरादून ने  बताया ” यह रुकावट की समस्या बच्चों में आम है  जो कि संक्रमण या जन्मजात मुद्दों सहित कई कारणों से हो सकता है। इस प्रक्रिया में  एंडोस्कोप का उपयोग करके बैलून डिलेशन नाक के माध्यम से नाक ट्यूब के पिछले हिस्से में डाली जाती है जहां यूस्टेशियन ट्यूब स्थित होती है। इस प्रक्रिया में नासोफरीनक्स के माध्यम से यूस्टेशियन ट्यूब में एक इन्फ्लेटेबल कैथेटर को डाला जाता  है। ।  इस दबाव पर दो मिनट के लिए बैलून को फुलाया जाता है। फिर, बैलून को डिफ्लेट किया जाता है और  कैथेटर को हटा दिया जाता है।”

 

इसके बारे में आगे बताते हुए , डॉ डेका ने कहा: “उत्तराखंड  में उन्नत  ईएनटी उपचार  और मानकों को लाने की हमारी निरंतर खोज ने, हमने हाल ही में अपने अत्याधुनिक ईएनटी विभाग में सर्जिकल प्रक्रिया की पेशकश शुरू की है।”

Max Hospital Dehradun
Dr Sandeep Tanwar, Max Hospital Dehradun

इस मौके पर डॉ संदीप तंवर, सीनियर वाइस प्रेसिडेंट – ऑपरेशन्स एंड यूनिट हेड, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल देहरादून ने कहा: “हम मरीजों को सर्वश्रेष्ठ उपचार और सेवाएं पेश करने में अग्रणी रहे हैं। अस्पताल ने पूर्व  में कई उपलब्धियां हासिल की हैं और मरीजों की बेहतर देखभाल  करने के लिए प्रयास हमारे जारी है।