बाबा केदारनाथ धाम के आगे मंदिर के पुजारियों और पंडा पुरोहितों द्वारा लगाए जा रहे सरकार विरोधी नारे का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
Anti modi slogans at kedarnath due to devsthanam bord
बाबा केदारनाथ धाम के साथ-साथ उत्तराखंड में मौजूद चारों धामों के पुजारियों और पंडा पुरोहितों की इस वक्त उत्तराखंड सरकार से ठनी हुई है। दरअसल पंडा पुरोहितों का यह समाज भाजपा सरकार द्वारा लाए गए देवस्थानम बोर्ड के विरोध में है। मौजूदा भाजपा सरकार में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा उत्तराखंड के चारों धामों सहित अन्य कई मंदिरों को एक रेगुलेटरी अथॉरिटी के अंतर्गत लाने के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। सरकार का मानना है कि देश के अन्य बड़े तीर्थ मठों और मंदिरों की तरह उत्तराखंड के इन चारों धामों को लेकर भी एक रेगुलेटरी अथॉरिटी ज्ञानी बोर्ड का गठन होना चाहिए ताकि इन मंदिरों में आने वाला दान पुण्य को सुनियोजित तरीके से इस्तेमाल किया जा सके।
भाजपा सरकार में त्रिवेंद्र लाये थे देवस्थानम बोर्ड
पूर्व की व्यवस्था की बात करें तो बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर बद्री केदार समिति के तहत संचालित किया जाता था लेकिन इसमें सरकार का कुछ हद तक ही हस्तक्षेप था। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का मानना है कि देश के अन्य बड़े मठ मंदिरों में हर साल करोड़ों अरबों लोग दान पुण्य करते हैं और उन मंदिरों के बोर्ड द्वारा उस पैसे का सुनियोजित तरीके से जनहित में और समाज के कल्याण में इस्तेमाल किया जाता है तो वही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत का कहना है कि उत्तराखंड के इन चारों धामों में भी पूरे देश और दुनिया से लोगों की आस्था है और लोग यहां पर दान पुण्य करना चाहते हैं लेकिन एक प्रॉपर चैनल ना होने की वजह से यह संभव नहीं हो पा रहा है। सरकार का उद्देश्य था कि बद्रीनाथ केदारनाथ और गंगोत्री यमुनोत्री जैसे हिंदू धर्म के इन चारों धामों में आने वाले लोग और उनके दान पुण्य से उत्तराखंड के विकास को बढ़ावा दिया जाए और इन धर्मों में हर साल होने वाली यात्रा को और अधिक सुगम बनाया जाए।
मुख्यमंत्री बदलने के बाद बढ़ी उम्मीद
मौजूदा स्थिति की बात करें तो उत्तराखंड में चल रही भाजपा सरकार में बतौर मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था जिसके बाद से ही चारों धामों में पुजारियों और पंडा पुरोहितों द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा है। यहां तक की देवस्थानम बोर्ड प्रदेश की आस्था से जुड़ा हुआ एक विषय है लिहाजा पूरे प्रदेश के लिए एक संवेदनशील विषय बना हुआ है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी जाने के पीछे कहीं ना कहीं इन चारों धामों को लेकर दिया गया उनका फैसला भी है जिसकी वजह से पंडा पुरोहित समाज नाराज है।
धामी सरकार के साथ मोदी से भी नाराज केदारनाथ के पुजारी
इसी बीच उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन हुआ और त्रिवेंद्र रावत के बाद दो मुख्यमंत्री बदले गए और मुख्यमंत्री बदले जाने के साथ-साथ देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे लोगों की उम्मीदें भी उम्मीदों को भी पंख लगे यही नहीं त्रिवेंद्र रावत के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने तो आते ही देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की बात कही लेकिन उन्हें भी ज्यादा समय नहीं मिल पाया और मात्र कुछ ही महीनों बाद मुख्यमंत्री के पद से तीरथ सिंह रावत को भी बदल दिया गया और अब नए और युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चल रही सरकार से भी पंडा पुरोहितों को उम्मीद थी कि पुष्कर सिंह धामी इस पर कुछ फैसला लेंगे। बतौर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर कोई ठोस बयान बाजी तो नहीं की लेकिन कई बार मीडिया के सवालों पर वह इस बात को कहते नजर आए की इस बोर्ड में संशोधन किया जाएगा लेकिन लगातार उत्तराखंड के चारो धाम में मौजूद पंडा पुरोहितों की मांग ज्वलंत होती जा रही है और पंडा पुरोहितों को लग रहा है कि सरकार उनके साथ न्याय नहीं करेगी जिसके चलते केदारनाथ में ना केवल उत्तराखंड सरकार के विरोध में नारे लगे बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में भी नारे लगाए गए।