शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देहरादून पहुंचकर उत्तराखंड में पशुपालन और महिलाओं को शसक्त बनाने वाली मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना की शुरुआत की।
Amit Shah Launched Ghasyari yojna
क्या है मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना
उत्तराखण्ड राज्य की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका का प्रमुख स्त्रोत कृषि एवं पशुपालन आदि है एवं दुधारू पशु प्रजातियों का 80 प्रतिशत से ज्यादा स्वामित्व सीमान्त एवं छोटे किसान के पास है। आजीविका के मुख्य स्त्रोतों में दुग्ध उत्पादन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। जनपद अल्मोड़ा में किये गये एक अध्ययन से पता चला है कि चारा काटने हेतु महिलाओं को 08 से 10 घंटे पैदल चलने से अत्यधिक शारीरिक बीमारियों (पीठ, कमर, घुटने, गर्दन दर्द) का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालकों द्वारा पारम्परिक चारा उपयोग में लाया जाता है जिसके मूल पोषक तत्व केवल 10 से 15 ही होते है। पौष्टिक एवं गुणवत्तायुक्त चारे की कमी के कारण दुग्ध उत्पादन में निरन्तर कमी आती जा रही है जिस कारण पर्वतीय कृषकों द्वारा पशुपालन गतिविधि में रुचि का अभाव हो रहा है। कृषकों की इस समस्या को देखते हुये परियोजना द्वारा हरा मक्का का उत्पादन कर सायलेज निर्माण किये जाने हेतु कार्य योजना तैयार की गयी है।
पर्वतीय महिलाओं की कार्यबोझ से मुक्ति एवं पशुओं हेतु पौष्टिक आहार उपलब्ध कर पशुपालन गतिविधि की एक व्यवसाय के रूप में स्थापित करने हेतु मुख्यमंत्री घरयारी कल्याण योजना का क्रियान्यवन उत्तराखण्ड राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के अन्तर्गत किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना अन्तर्गत सायलेज फैडरेशन (साईफेड) के माध्यम से संयुक्त सामूहिक खेती के अन्तर्गत मक्का की मूल्य वृद्धि श्रृंखला जनपद देहरादून की सहकारी समितियों से जुड़े 1000 कृषकों की 1000 एकड़ भूमि पर 10000 मीट्रिक टन हरे मक्का का उत्पादन किया गया है, जिससे हरा मक्का उत्पादन करने वाले कृषकों को रू० 02 करोड़ का भुगतान वर्ष 2021-22 में किया गया है। परियोजना द्वारा सायलेज फेडरेशन एवं कार्पोरेट पार्टनर के साथ कॉपरेटिव कार्पोरेट पार्टनरशिप मॉडल विकसित किया गया है, जिसका मुख्य लक्ष्य सामूहिक खेती के माध्यम से किसानों को बेहतर मूल्य प्रदान करना है एवं पहाड़ी जनपदों में चारा लाने के दौरान महिलाओं की दुर्घटनाओं के साथ-साथ कार्यबोझ में कमी कर राज्य में गुणवत्ता एवं पौष्टिक चारा उपलब्ध कराना है।
घस्यारी योजना की खास बातें
- प्रस्तावित योजना में राज्य में कृषक लाभार्थियों / पशुपालकों को सायलेज / टी०एम०आर० / चारा ब्लॉक रियायती दर पर उपलब्ध कराया जाना है।
- इस योजना के तहत लगभग 2000 से अधिक कृषक परिवारों को उनकी 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर मक्का की सामूहिक सहकारी खेती से जोड़ा गया है।
- वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान सायलेज एवं टी०एम०आर० हेतु प्रतिवर्ष 10,000 नं0 टन उत्पादन और आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है।
- प्रस्तावित योजना में रियायती दरों पर किसानों को सायलेज एवं टी०एम०आर० की आपूर्ति हेतु राज्य सरकार की ओर से 50 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था की गयी है।