valley of words hindi literature fest iip dehradunvalley of words hindi literature fest iip dehradun

हर साल की तरह इस बार भी वैली ऑफ वर्ड (valley of words) संस्था द्वारा देश में हिन्दी के मूल स्वरूप और महत्व के प्रति युवा पीढ़ी को जागृत रखनें और हिन्दी के महत्व को साझा करने के लिए एक दो दिवसीय साहित्य सम्मेलन की शुरुआत गुरुवार को देहरादून इंडियन इंस्टिट्यूट और पेट्रोलियम में की गई है। इस कार्यक्रम का नाम शब्दावली रखा गया है।

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वैली ऑफ वर्ड्स, सीएसआईआर आईआईपी के संयुक्त प्रयासों से हिंदी साहित्य के महत्व को युवा पीढ़ी के समक्ष रखने और उसके प्रति जागरूक रखने के लिए देहरादून आईआईपी में दो दिवसीय कार्यक्रम शब्दावली की आज शुरुआत हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ द्वीप प्रज्वलन एक स्वरचित सरस्वती वंदना के साथ हुई।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री उपस्थित रहे। मंच पर लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, डॉ. संजीव चोपड़ा, डॉ. अंजन रे, सोमेश्वर पाण्डेय इन सभी विद्वानों ने उनका साथ दिया.मंच का संचालन शोमेश्वर पाण्डेय द्वारा किया गया।

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इस कार्यक्रम में उपस्थिति सभी लेखकों का स्वागत पौधा दे कर किया गया, जिनमें रणेंद्र, शिरीष खरे, नवीन चौधरी , मिहिर सासवडकर, आशीष कौल आदि प्रमुख लेखक व अनुवादक शामिल थे।उसके पश्चात एक-एक कर सभी मंच आसीन विद्वानों ने उपस्थित युवा छात्रों और अन्य सभी लोगों को संबोधित किया। अपने संबोधन में डॉ. अंजन रे ने “वैली ऑफ वर्ड्स”, की महत्ता बताते हुए कहा कि,” आईआईपी सीएसआईआर तथा वैली ऑफ वर्ड्स के इस साझे कार्यक्रम का नाम शब्दावली न होकर शब्दा-वैली होना चाहिए।“ मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों को शॉल ओढ़ाकर तथा तथा एक पौधा देकर उनका स्वागत सम्मान किया गया।

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इसके पश्चात “तद्भव” पत्रिका का विमोचन किया गया। “तद्भव” पत्रिका का प्रकाशन लखनऊ से हुआ है। तथा इसके संपादक अखिलेश हैं, अखिलेश एक संपादक और लेखक हैं, और वृतांत, समीक्षाएं, तथा संस्मरण भी लिखते हैं।अखिलेश कहते हैं कि वे खुद को बेहद भाग्यशाली समझते हैं की वे बतौर संपादक इस पत्रिका से तथा वैली ऑफ वर्ड्स से जुड़ पाए। प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने अपने वक्तव्य में धर्म,अर्थ, काम, मोक्ष इन सभी पुरुषार्थ पर अधिक जानकारी साझा की।लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने अपने वक्तव्य में युवाओं से भाषा, साहित्य से कटने के लिए चेताया और कहा कि, युवाओं को साहित्य, भाषा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है।इसी के साथ कार्यक्रम का समापन शुभमनाओं के साथ हुआ।