लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने अब उत्तराखंड में अपने नेताओं का ऐलान कर दिया है जिसमें गढ़वाल मंडल से 8 सीटें जितने के बाद भी गढ़वाल क्षेत्र को पूरी तरह से दरकिनार किया गया है।
uttarakhand congress president announcement
विधानसभा चुनाव 2022 में करारी शिकस्त मिलने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में भारी अंतर कलह देखने को मिल रही थी तो वही विधानसभा चुनाव में हुई इस करारी शिकस्त के बाद हार का ठीकरा एक-दूसरे के सर फोड़ने की होड़ भी साफ देखने को मिली। इसके बाद इस्तीफों का सिलसिला भी शुरू हुआ। कांग्रेस केंद्रीय नेतृत्व ने जिन राज्यों में पार्टी हारी है वहां के प्रदेश अध्यक्षों का इस्तीफा मांगा जिसमें उत्तराखंड से प्रदेश अध्यक्ष के पद पर मौजूद गणेश गोदियाल ने भी अपना इस्तीफा दिया। उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के इस्तीफे के बाद प्रदेश कार्यकारिणी पूरी तरह से भंग हो गई थी।
वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद जहां कांग्रेसी विधायकों की संख्या 11 से बढ़कर 19 हो गई थी और कांग्रेस विधानसभा में एक बड़े विपक्ष के रूप में पहुंची थी लेकिन नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष का चयन ना होने की वजह से पूरे विधानसभा सत्र में कांग्रेस अपने नेता के बिना विपक्ष में बैठी रही ऐसे में लंबे समय से कांग्रेस से सवाल पूछा जा रहा था कि आखिर हार के बाद जब वह अपने नेताओं का चुनाव नहीं कर पा रही है तो अगर जीत होती तो कैसे उन पर यकीन किया जा सकता है कि वह सफलतम सरकार का गठन करते। ऐसे में जहां लगातार कांग्रेस आलोचनाएं झेल रही थी तो वही रविवार देर शाम कांग्रेस के नए पदाधिकारियों की लिस्ट जारी हुई।
कांग्रेस ने गढ़वाल को किया नजरअंदाज
रविवार देर शाम जारी हुई कांग्रेस की लिस्ट में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में रानीखेत पूर्व विधायक रहे करण मेहरा को जिम्मेदारी दी गई है। वही इसके अलावा सदन के भीतर कांग्रेस के नेता यानी नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य को दी गई है और उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी खटीमा से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को हराने वाले भुवन कापड़ी को दी गई है। कांग्रेस के इस निर्णय के बाद जहां एक तरफ कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है तो वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चाएं हैं कि कांग्रेस ने पूरी तरह से गढ़वाल को नजरअंदाज कर दिया है। कांग्रेस के इन तीनों पदों में से कोई भी एक पद गढ़वाल मंडल में नहीं दिया गया है जबकि विपक्ष में मौजूद कांग्रेस को 19 में से 8 सीटें गढ़वाल क्षेत्र से ही मिली है। ऐसे में सवाल यह भी किया जा रहा है कि क्या गढ़वाल क्षेत्र में कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं है या फिर गढ़वाल मंडल से कांग्रेस का मोहभंग हो रहा है।