Trivendra Rawat in Uttarakhand politicsTrivendra Rawat in Uttarakhand politics

Loading

उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों 10 मार्च का बेसब्री से इंतजार हो रहा है तो वहीं भाजपा में आजकल एक अजीब सी खलबली है। कमाल की बात यह है कि जहां एक तरफ कांग्रेस में सियासत केवल हरीश रावत के इर्द गिर्द है तो वहीं भाजपा में भी सारे बड़े नेता त्रिवेंद्र रावत के घर चक्कर काट रहे हैं। एक तरफ जहां चुनाव तक भाजपा ने त्रिवेंद्र रावत को साइड लाइन किया हुआ था तो अचानक पिक्चर में उनका रोल इंपोर्टेंट क्यों हो गया है इस बात ने तमाम राजनीतिक पंडितों का सर दर्द बढाया हुआ है।

Role of Trivendra Rawat in Uttarakhand politics

Trivendra Rawat उत्तराखंड में इन दिनों 10 मार्च के चुनाव परिणामों के इंतजार के साथ-साथ सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार भी खूब गरम है। कोई पूछ रहा है “कौन आ रहा है” कोई पूछ रहा है “कौन जा रहा है”। भले ही भाजपा और कांग्रेस दोनो ओर से कमरे के बाहर आकर खूब दावेदारी की जा रही है लेकिन कमरा बंद कर के टेंशन में भी एक दूसरे से हाल पूछा जा रहा है कि हम आ भी रहे हैं या नही

बहरहाल एक तरफ कांग्रेस है जो अब तक अपने बत्तर हालातों में थी तो लाजमी है कि अब इस से बुरे हालात तो क्या हीं होंगे, उम्मीद है अब हालात सुधरेंगे जिसके कुछ संकेत भी है। लेकिन दूसरी तरफ दिक्कत भाजपा की है जो कि अब तक अपने शिखर पर थी लेकिन अब भाजपा भी जानती है कि अब नीचे जाने की बारी है, लेकिन सवाल यह है कि कितना नीचे जाएगी। यही वजह है कि जहां कांग्रेस के नेताओं के चेहरे पर थोड़ा संतोष है तो वहीं भाजपा के नेताओं के चेहरों की हवाईयां उड़ी हुई है। खास तौर से उन नेताओं की जो इस चुनाव में लीड रोल में थे जैसे कि मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक हालांकी त्रीवेंद्र रावत थोड़ा रिलेक्स है क्योंकि पार्टी ने उन्हे आगे ही नही किया था। 

इस सबके बीच भाजपा की राजनिती ना जाने क्यों अचानक त्रिवेंद्र रावत के इर्द गिर्द घूमने लगी है। इसकी शुरुआत हुई अचानक मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के त्रिवेंद्र रावत के घर पंहुचने के बाद। सीएम धामी रविवार को अचानक पुर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के घर पहुंच गये। यह शायद पहली दफा था जब मुख्यमंत्री बनने के बाद पुष्कर धामी एसे अचानक त्रिवेंद्र रावत के घर मुलाकात के लिए पंहुचे थे। सीएम धामी और पुर्व सीएम त्रिवेंद्र की इस मुलाकात के सियासी गलियारों में खूब अलग अलग मायने निकाले गये। किसी ने कहा कि सीएम धामी दुबारा सीएम बनने के लिए अभि से फिल्डिंग बिछाने लग गये हैं तो किसी ने कहा भाजपा की हालत मतदान में खस्ता रही है और अब पार्टी को अपने पुराने नेता की याद आई है।

CM Dhami Meet Tirvendr rawat
CM Dhami Meet Tirvendr rawat

यह सारी चर्चाएं चल ही रही थी कि बिती शाम मंगलवार को अचानक भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक भी पुर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के घर मुलाकात के लिए पंहुच गये। मगलवार शाम त्रिवेंद्र रावत से हुई भाजपा अध्यक्ष की मुलाकात इतनी तत्काल थी कि कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत ने फोन कर के पुछा कि त्रिवेंद्र रावत जी आवास पर हैं जवाब मिला कि हां हैं, तो धन सिंह रावत ने कहा मै त्रिवेंद्र रावत जी से मिलने आ रहा हूं और किसी को मालूम नही था कि मदन कौशिक जी भी आ रहै हैं । कुछ देर बाद पार्टी के अध्यक्ष मदन कौशिक और धन सिंह रावत दोनो नेता एक ही वाहन में त्रिवेंद्र रावत जी के घर आ पंहुचे। इस से पहले देहरादून मेयर सुनिल उनियाल गामा भी त्रिवेंद्र रावत के आवास पर पंहुचे थे। जहां पीछे रविवार को देर रात तक मुख्यमंत्री पुष्कर धामी त्रिवेंद्र रावत के आवास पर बैठे रहे तो वहीं मंगलवार को कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत और पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक भी देर रात तक त्रिवेंद्र रावत के आवास पर बैठे रहे।

Madan Kaushik meet trivendr rawat

पार्टी के दोनो बंडे नेताओं के एसे अचानक त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात करना निश्चित तौर से राजनितक पंडितों के लिए एक सोचने वाला विषय है। कांग्रेस ने भी लगे हाथ इस मामले को लपका है। सीएम धामी की त्रिवेंद्र से हुए मुलाकात पर कांग्रेस ने भी चुटकी ली। पुर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के शीर्ष नेता हरीश रावत ने कहा कि पार्टी ने पहले तो त्रिवेंद्र रावत को साइड लाइन किया फिर उनके लोगों को चुन-चुन कर खतम किया। इन चुनावों में खोज खोज कर त्रिवेंद्र के किरीबी नेताओं के टिकट काटे गये और अब पार्टी जब हार की कगार पर खड़ी है और पता है कि 10 मार्च को मुह छुपाना पड़ सकता है तो अब त्रिवेंद्र की याद आ रही है।

कुछ जानकार लोगों का यह भी मानना है कि भाजपा की हालत टाइट है। 10 मार्च को आने वाले परिणाम में पार्टी को बहुमत में आने के लिए हो सकता है काफि जद्दोजहद करनी पड़े। एसे में सभी का साथ रहना पार्टी के लिए बेहद जरुरी है और इन परिस्थितियों में कोई नेता नराज रहा तो बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि इस दफा चुनाव लड़ रहे कई लोग एसे हैं जो त्रिवेंद्र रावत को आदर्श मानते हैं और जिस तरह से बार बार यह बातें आ रही है कि त्रिवेंद्र रावत को साइड लाइन किया गया है तो इसका कोई दुष्परिणाम ना देखने को मिले इस लिए भी हो सकता है कि त्रिवेंद्र रावत के चक्कर काटे जा रहे हो।

बहरहाल इन सारी कयासबाजियों पर त्रिवेंद्र रावत का साफ कहना है कि चाहे परिस्थितियां कुछ भी बनी हो ना तो त्रिवेंद्र रावत भाजपा को भूलें हैं, तो एसा कैसे हो सकता है कि पार्टी त्रिवेंद्र को भूल जाए। त्रीवेंद्र रावत का कहना है कि यह सामन्य मुलाकातें हैं। पार्टी के लोग आपस में मिलते रहते हैं यह कोई पहली मुलाकात तो नहीं है। लाहांकी वो बात अलग है कि बंद कमरे के भीतर क्या बात हुई यह किसी को मालूम नही।