विधानसभा में चल रहे मानसून सत्र में कई मंत्री विपक्ष के सवालों के आगे लड़खड़ा रहे थे लेकिन हरक सिंह रावत एक ऐसे मंत्री हैं जो कि विपक्ष के सारे दांव पेंच को विफल कर रहे हैं।
Harak Singh Rawat is the most experienced in the house
Harak singh rawat इन दिनों विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है तो वही सदन के भीतर सवाल-जवाब का दौर भी लगातार जारी है। साल चुनावी है लिहाजा विपक्ष यानी कांग्रेस के विधायक सदन से लेकर सड़कों तक लगातार सरकार के ऊपर अपना दबाव बनाने की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं यही नहीं विपक्ष कुछ हद तक कामयाब भी हो रही है।
विधानसभा सत्र के तीसरे दिन जहां एक तरफ विपक्ष में सदन शुरू होते ही प्रश्नकाल में सबसे पहले भु कानून के मुद्दे को लेकर सरकार पर टूट पड़ा तो वहीं सत्ता पक्ष की ओर से संसदीय कार्य मंत्री इस सवाल के जवाब के इस दौर में लड़खड़ाते नजर आए। भू- कानून पर पहले सवाल का जो जवाब सरकार द्वारा लिखित में दिया गया था उसमें कई खामियां और गलतियां पायी गई जिस पर विपक्ष में खूब हंगामा काटा। इसके बाद दूसरा प्रश्न काजी निजामुद्दीन में संसदीय कार्य मंत्री के साथ-साथ खाद्य मंत्री की भूमिका निभा रहे बंशीधर भगत से किया लेकिन इस पर भी बंशीधर भगत विपक्ष के सवालों में घिरते नजर आए।
तो वहिं इसके बाद सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा और विपक्ष की ओर से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने अब वन मंत्री हरक सिंह रावत को घेरने की कोशिश में प्रदेश में वन्य जीव संरक्षण और बंदरों को लेकर सवाल किया जिस पर वन मंत्री हरक सिंह ने बड़ी सहजता के साथ जवाब दिया और जवाब बिल्कुल सटीक था और कोई जवाब पर फिर से सवाल नही उठा पाया। वही इसके बाद कौशल विकास और श्रम विकास में हुए घोटाले को लेकर उनसे सवाल किया गया जिस पर उन्होंने अपनी बातों को गोल गोल घुमा कर जवाब दिया और जवाब ऐसा दिया कि उनके जवाब पर दोबारा से कोई अनुपूरक सवाल नहीं उठा पाया।
लेकिन ऐसा नहीं हरक सिंह रावत सवाल में नहीं फंसे लेकिन उन्होंने फिर भी खूबसूरती से अपनी मुसीबत को टाल दिया। दरअसल विपक्ष के विधायकों के बाद एक सवाल सत्ता पक्ष के ही विधायक उमेश शर्मा काऊ द्वारा ऐसा पूछा गया जिस पर हरक सिंह रावत असहज होते लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल उमेश शर्मा काऊ ने हरक सिंह रावत से पूछा कि सरकार द्वारा रिस्पना नदी के उद्गम स्थल पर लाखों की संख्या में वृक्षारोपण करके एक विश्व रिकॉर्ड बनाया गया था और उन्होंने पूछा कि उनमें से अब कितने पेड़ जिंदा है जिस पर हरक सिंह रावत जवाब देने के लिए खड़े हुए, थोड़ा मुस्कुराये और फिर उन्होंने घड़ी की ओर देखा और बड़ी विनम्रता से कहा कि प्रश्नकाल अभी खत्म नहीं हुआ है। जिस पर सबका ध्यान घड़ी की ओर गया और ज्ञात हुआ कि प्रश्नकाल खत्म होने में केवल 1 मिनट बचा है। प्रश्न काल खत्म होने में 1 मिनट बचा था और इस दौरान सारे हरक सिंह सदन मैं अपनी मीठी बातों से सबका मन लगाने लगे इतना ही नहीं उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष पर भी काफी कुछ कह दिया और आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल खत्म हुआ है और जैसे ही विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि प्रश्नकाल खत्म हुआ वैसे ही पूरा सदन ठहाके मारकर हंस उठा।
बहरहाल प्रश्नकाल खत्म हो चुका था और अब हरक सिंह रावत को जवाब देने की कोई बाध्यता नहीं लेकिन प्रश्नकाल खत्म होने के बाद भी हरक सिंह रावत अपने हास्य अंदाज में बोले काऊ भाई रिष्पना नदी में आखिर क्या छुपा हुआ है कहीं सोना तो नहीं दबा हुआ नदी के नीचे, बोले त्रिवेंद्र भाई भी रिस्पना नदी के पीछे खूब पड़े रहते थे। ऐसा ही हंसी मजाक और अपनी मीठी मीठी बातों से कभी किसी की बात कर के किसी पर तंज ऐसा करते हुए हरक सिंह रावत ने सभी सवालों के जवाब दिया।
हरक सिंह रावत हंसी हंसी में बता दे ते हैं अपनी राजनीतिक हैसियत
यह मंत्री हरक सिंह रावत का अनुभव और उनकी सूझबूझ ही है कि जब भी वह सदन में जवाब देने के लिए खड़े होते हैं तो सबका ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। हरक सिंह रावत एक ऐसे व्यक्ति हैं जो कि सदन में बेहद ज्यादा अनुभवी और वरिष्ठ है। अक्सर विपक्ष के विधायक हरक सिंह रावत पर छींटाकशी करते हैं तो हरक सिंह रावत बेहद सहज और हास्यास्पद तरीके से जवाब देते हैं। कई बार हरक सिंह रावत के सामने 1-2 बारी के विधायक जब सवाल करते हैं तो हरक सामने वाले विधायक से पूछते है कि तुम कितनी बार के विधायक हो तो सामने वाला असहज हो जाता ज़के हरक बोलते हैं मैं 9 बार विधायक नही बल्कि मंत्री रह चुका हूं। कई विधायकों को वह पुराने दिन याद दिला देते हैं। यंहा तक कि कांग्रेस के तेजतर्रार नेता काजी निजामुद्दीन जब हरक सिंह रावत के सामने बोलने लगे तो हरक सिंह रावत अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि तुम्हारे पिताजी की कोठी के बगल में मेरी कोठी थी जब में मंत्री था और इस तरह से हरक सिंह रावत हंसी हंसी में अपने तमाम पुराने अनुभव और उपलब्धियों को गिनाते हुए हरक सिंह रावत दिखाते हैं कि वह कितने वरिष्ट और अनुभवी हैं। दरअसल हरक सिंह रावत 28 साल की उम्र में मंत्री बन चुके थे जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। उस लिहाज से सदन में मौजूद लगभग अधिकतर सदस्य हरक सिंह रावत के सामने बेहद कम अनुभव वाले हैं लिहाजा हरक सिंह रावत सब पर चुटकी लेते हैं