देहरादून: भारत में पहली बार, राष्ट्रीय खेल के इतिहास में ‘गो ग्रीन’ पहल के तहत एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अब तक केवल ओलंपिक में अपनाई गई इस पहल को भारत के 38वें राष्ट्रीय खेल में लागू किया गया है। इस पहल का उद्देश्य खेल आयोजनों को पर्यावरण-अनुकूल बनाना और प्लास्टिक कचरे को कम करना है।
ऐतिहासिक कदम: पहली बार अपनाई गई सस्टेनेबल पहल
• राष्ट्रीय खेल में पहली बार 100% rPET बोतलों का उपयोग किया जा रहा है।
• प्रमुख स्थानों पर कांच की बोतलों का उपयोग किया जा रहा है।
• स्वच्छ भारत अभियान के तहत ‘मिशन ज़ीरो प्लास्टिक बॉटल वेस्ट’ की शुरुआत की गई है।
• खेलों के दौरान एकत्र किए गए प्लास्टिक कचरे का उपयोग बेंच के निर्माण में किया जाएगा।
इस पहल के तहत बनाए गए रिकॉर्ड:
• 360° सर्कुलर इकोनॉमी और सस्टेनेबिलिटी ड्राइव की पहली बार शुरुआत हुई, जिसमें रिसाइकल्ड प्लास्टिक से बनी बोतलों का उपयोग और पुनः संग्रहण समानांतर रूप से किया जा रहा है।
• यह पहली बार है जब किसी राष्ट्रीय आयोजन में 100% rPET बोतलों का उपयोग पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर के लिए किया गया है।
• पहली बार किसी ब्रांड ने भारत में 100% rPET बोतलों को लॉन्च किया है।
• ‘क्लियर पानी’ इस पहल को अपनाने वाला भारत का पहला ब्रांड बना, जो ‘विकसित भारत’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को समर्थन देता है।
• पहली बार किसी राज्य ने इतने बड़े स्तर पर मिशन ज़ीरो प्लास्टिक बॉटल वेस्ट अभियान शुरू किया है।
• 9,000+ एथलीटों और 20,000+ सहयोगी स्टाफ ने पर्यावरण-अनुकूल पानी की बोतलों के उपयोग की शपथ ली।
• पहली बार क्लियर पानी, शहरी विकास विभाग, स्थानीय नगर निगम और पर्यावरण मित्र के सहयोग से सामूहिक प्लास्टिक कचरा संग्रहण अभियान शुरू हुआ।
• पहली बार बोतलों के संग्रहण का दैनिक रिकॉर्ड रखा जा रहा है।
• पहली बार कचरे को तीन भागों – सूखा, गीला और प्लास्टिक बोतल कचरा – में अलग किया जा रहा है।
नवाचार: बोतल क्रशर मशीन और पुनर्चक्रण का नया दृष्टिकोण
राष्ट्रीय खेल के दौरान प्लास्टिक कचरे के प्रभावी प्रबंधन के लिए नगर निगम और ग्राम पंचायतों में बोतल क्रशर मशीनें लगाई गई हैं, ताकि प्लास्टिक बोतलों को तुरंत नष्ट कर पुनर्चक्रण की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके। इसके अलावा, खेलों के बाद इन बोतलों का उपयोग बेंच के निर्माण में किया जाएगा, जिससे प्लास्टिक कचरे का पुनः उपयोग हो सके।
यह पहल न केवल राष्ट्रीय खेल के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक मिसाल है। यह कदम भविष्य में अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के लिए प्रेरणा बनेगा और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।