केदारनाथ मंदिर मूल रूप से पांच पांडवों द्वारा बनाया गया। और इसका पुनर्निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा किया गया।
केदारनाथ पंच केदार में से एक केदार होने के साथ-साथ 12 ज्योतिर्लिंग में भी एक ज्योतिर्लिंग है।
केदारनाथ मंदिर के निर्माण में पत्थर की बड़ी-बड़ी शिलाओं का प्रयोग किया गया।
केदारनाथ मंदिर मे स्थित शिवलिंग त्रिकोण आकार का एक बड़ा पत्थर हैं जिसे भगवान शिव के बैल रुपी अवतार का पीठ वाला भाग माना जाता है।
केदारनाथ मंदिर केवल छह महीने भक्तों के लिए ही खुलता है।
केदारनाथ मंदिर मई में अक्षय तृतीया के दिन खोला जाता है और दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा में इसे बंद कर दिया जाता है।
केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कर्नाटक के वीर शैव समुदाय से हैं। इन्हे रावल के नाम से जाना जाता है। मंदिर में मंत्रों का जापभी कन्नड़ भाषा में किया जाता है।
केदारनाथ मंदिर का रोचक तथ्य यहाँ जलने वाली अखंड ज्योत है। जो मंदिर के 6 महिने के बाद खुलने पर भी उसी तरह जलता हुआ पाया जाता है।
केदारनाथ मंदिर से थोड़ी दूरी पर स्थित बाबा भैरवनाथ का मंदिर है बाबा केदार के साथ-साथ इनके दर्शन करना आवश्यक माना जाता है.अन्यथा केदारनाथ की यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती है।
केदारनाथ मंदिर चार सो सालो तक बर्फ से ढका रहा जिसके निशान आज भी मंदिर में देखने को मिलते है.