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देहरादून: श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि दिल्ली में किसी संस्था द्वारा श्री केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाए जाने के मामले को कांग्रेस नेता अनावश्यक रूप से तूल दे रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुंबई में बदरीनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। तब कांग्रेस नेताओं ने ना ही इसका विरोध किया और ना ही तब तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदीयाल धरने पर बैठे थे।

शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में बन रहे मंदिर से राज्य सरकार का कोई लेना देना नहीं है और ना ही राज्य सरकार अथवा मुख्यमंत्री जी द्वारा इस हेतु किसी प्रकार का सहयोग दिया गया है । उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी दिल्ली में प्रस्तावित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कुछ विधायकों, जन प्रतिनिधियों तथा साधु-संतों के अनुरोध पर गये थे। यह रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा था। मुख्यमंत्री जी ने धार्मिक कार्यक्रम के नाते कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दी थी। इसके पीछे यह मंतव्य कहीं भी नहीं था कि प्रस्तावित मंदिर को बाबा केदार के धाम के रूप में विकसित किया जाएगा।

अजेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भांति मुख्यमंत्री धामी की भी बाबा केदार में गहरी आस्था है। मुख्यमंत्री के रूप में धामी कपाट खुलने के अवसर पर केदारनाथ में लगातार उपस्थित रहते हैं। इसके अलावा मास्टर प्लान के कार्यों के निरीक्षण के लिए भी वे अब तक कई बार बाबा केदार के धाम की यात्रा कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट द्वारा ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ हिमालय के नाम का दुरुपयोग किया जाएगा अथवा श्री केदारनाथ धाम के नाम पर चंदा एकत्र किया जाएगा तो राज्य सरकार एवं बीकेटीसी ट्रस्ट पर वैधानिक कार्रवाई करेगी। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बीकेटीसी के अधिकारियों को इस संबंध में कानूनी राय लेने के निर्देश दे दिए गए हैं।

अजेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। वर्ष 2015 में मुंबई के वसई नामक स्थान में 11 करोड़ की लागत से भब्य बदरीनाथ मंदिर बनाया गया था। जिसके शिलान्यास के अवसर पर तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री हरीश रावत कार्यक्रम में शामिल हुए थे। तब कांग्रेसियों द्वारा यह कहा गया कि एक ही नाम से मंदिर बनने से कोई फर्क नही पड़ेगा। तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मुंबई में बने बदरीनाथ मंदिर बनने का विरोध नही किया।

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