पिछले 19 सालों से सियासी विषय बन कर रहने वाला राजधानी के मुद्दे की अब गुत्थी सुलझती नजर आ रही है। जहां एक तरफ प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा गैससैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया है तो वहीं अब बाकी समय के लिए परमानेंट राजधानी कहा होगी इस सवाल के जवाब को लेकर भी जल्द स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
कहां होगी उत्तराखंड की स्थायी राजधानी ?
गौरतलब है कि देहरादून में सभी वव्यस्थाएं राज्य बनने के समय से ही अस्थाई रुप से की गई थी।दरसल पिछली कांग्रेस सरकार में देहरादून में स्थाई राजधानी को लेकर रायपुर क्षेत्र में भूमी को चिन्हीत कर राजधानी यानी सभी महत्वपूर्ण भवन जैसे कि विधानसभा, सिचिवालय इत्यादी के लिए प्रस्तावित किया गया था। लेकिन घोषणा के बाद क्या हुआ कोई नही जानता और अब इसे लेकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमंचद अग्रवाल ने वस्तुस्थिती की जानकारी के लिए राज्य सम्पति विभाग के अधिकारियों की बैठक ली और बैठक में कई चौकाने वाली जानकारियां सामने आई।
रायपुर में 60 एकड़ भूमि राजधानी के लिए प्रस्तावित।
विधानसभा अध्यक्ष ने बाताय कि राज्य सम्पत्ती विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि रायपुर क्षेत्र में राजधानी बनाने के लिए 75 करोड़ स्विकृत किया गया था जिसमें से 7 कोरोड़ रुपये क्योंकि भूमी वन की है तो वो वन विभाग को दी जा चुकी है। विधानसभा अध्यक्ष ने बाताय की राजपुर क्षेत्र में स्विकृत हुई यह भूमी 60 एकड़ की भूमी है जिसमें विधानसभा, सचिवलाय और कुछ और जरुर दूसरे निर्माण वहां पर होने है। राज्य सम्पती अधिकियों द्वारा जानकारी दी गई है हाथी कोरिडोर के लिए अभी 15 करोड़ दिया जाना है जिसके बाद सैधांतिक स्विकृती के बाद की प्रक्रिया शुरु होगी।
पिछले कई सालों में देहरादून शहर पर बड़ा जनसंख्या दबाव।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अब तक के अधिकारियों के यह उदासीनता है कि राजधानी के लिए स्विकृत यह पैसा जिलाधिकारियों के लबिंत अकाउंट में है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इस स्विकृत भूमी का स्थलीय निरिक्षण बेहद जरुरी है साथ ही उन्होने यह भी कहा कि वो जल्द ही इस संबध में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात की इसके संबध में कोई ठोस निर्णय लेगें। उन्होने कहा कि यह निर्णय लेना इस लिए भी जरुरी है क्योंकि जहां से आज विधानसभा की सारी कार्यवाही चल रही है वहां की अस्थाई व्यवस्थाओं के बारे में सब जानते है और अब इस में सुधार की बेहद जरुरत है।