- 26 राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों में किशोरों को पोषण एवं सेहतमंद जीवनशैली के बारे में किया जा रहा है जागरुक
देहरादून: नेस्ले इंडिया और उसके भागीदारों ने कंपनी की प्रमुख सामाजिक पहल ‘नेस्ले हेल्दी किड्स प्रोग्राम’ के 15 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया है। यह पहल किशोरों के बीच सेहतमंद जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिये लाई गई है। इसे 2009 में एक पायलट प्रोग्राम के तौर पर लॉन्च किया गया था और इसने अच्छी-खासी तरक्की करते हुए 26 राज्यों तथा संघ शासित क्षेत्रों में 600,000 से अधिक किशोरों एवं 56,000 माता-पिता तक पहुँच बनाई है। यह प्रोग्राम किशोरों को स्वास्थ्यकर खान-पान तथा सक्रिय जीवन के बारे में समझदारी से निर्णय लेने के लिये आवश्यक ज्ञान एवं कौशल प्रदान करता है। यह शारीरिक गतिविधि को सेहतमंद जीवनशैली का अनिवार्य अंग बताता है, प्लास्टिक के कचरे का जिम्मेदारी से प्रबंधन करने को बढ़ावा देता है और माता-पिता को प्रोत्साहित करता है कि वे सेहतमंद आदतों को अपनाने में अपने बच्चों की मदद करें।
नेस्ले इंडिया ने इस प्रोग्राम के लिये शैक्षणिक संस्थानों के साथ भागीदारी की है, जिसमें सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, गोवा कॉलेज ऑफ होम साइंस, गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नोलॉजी, गुजरात यूनिवर्सिटी, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी आंत्रप्रेन्योरशिप एण्ड मैनेजमेंट, पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेस और मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन शामिल हैं।
इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर अपनी बात रखते हुए, नेस्ले इंडिया में कॉर्पोरेट अफेयर्स और सस्टेनेबिलिटी के डायरेक्टर संजय खजूरिया ने कहा, ‘‘नेस्ले हेल्दी किड्स प्रोग्राम के 15 सफल वर्षों का जश्न मनाना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह पहल हमारे युवाओं का स्वस्थ भविष्य बनाने के लिये हमारी अटूट प्रतिबद्धता दिखाती है। शिक्षा ऐसा साधन है, जो समाज में सकारात्मक बदलाव कर सकता है। इस प्रोग्राम के माध्यम से हम देशभर के युवाओं से जुड़ने में सफल रहे हैं। हमने उन्हें न्यूट्रीशन, हाईजीन और सक्रिय जीवनशैली के सम्बंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी है।’’
नेस्ले हेल्दी किड्स प्रोग्राम ने शिक्षा के साथ किशोरों के जुड़ाव को उल्लेखनीय तरीके से प्रभावित किया है। स्कूल में उनकी उपस्थिति में बढ़ोतरी देखने को मिली है और इंटरनेशन ग्रुप के 92% विद्यार्थी इस मध्यस्थता के बाद से हफ्ते में कम से कम पाँच दिन स्कूल जा रहे हैं। मध्यस्थता के पहले तक ऐसे विद्यार्थी लगभग 54% ही थे। इस प्रोग्राम का किशोरों पर पोषण के लिये जागरूकता के मामले में भी सकारात्मक असर हुआ है। उदाहरण के लिये, इंटरवेंशन ग्रुप में विटामिन ‘ए’ पर जागरूकता काफी बढ़ी है। यह जागरूकता प्रोग्राम की शुरूआत के समय 33% थी और आखिरकार करीब 73% हो गई।
एनआईएफटीईएम के डायरेक्टर डॉ. हरिंदर सिंह ओबेरॉय ने अपनी बात रखते हुए कहा, “नेस्ले हेल्दी किड्स प्रोग्राम भारत भर के समुदायों में सकारात्मक परिणाम देने में सफल रहा है। यह व्यापक, सहयोगी और गहन प्रयासों के माध्यम से संभव हुआ है। हमें इस पहल का हिस्सा बनने पर गर्व है और हम उसी उत्साह, समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
स्कूलों और समुदायों में बच्चों और उनके माता-पिता को खेल-कूद के माध्यम से स्वस्थ आदतें सिखाई जाती हैं। ये गतिविधियां मज़ेदार होती हैं और बच्चों को स्वस्थ रहने के तरीके सिखाती हैं। समाज के लोग भी इस कार्यक्रम में मदद करते हैं और लोगों को स्वस्थ रहने के महत्व के बारे में बताते हैं। इससे बच्चे जिम्मेदारी लेना सीखते हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।